MGNREGS demand: महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम (MGNREGS) के तहत जून में काम की मांग 23 महीनों के उच्च स्तर पर जा पहुंची है. इसके तहत करीब 33.72 मिलियन हाउसहोल्ड ने इस स्कीम के तहत काम पाने के लिए आवेदन किया. इस तरह ग्रामीण इलाकों में काम की मांग को लेकर अच्छा रुझान देखने को मिला है.


3.37 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत किया आवेदन


बिजनेस स्टैंडर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जून में 3.37 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत काम पाने के लिए आवेदन किया है और ये 23 महीने के उच्च स्तर को दिखाता है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस डिमांड में तेजी के पीछे वजह रही कि इस साल शुरुआत में बारिश की मात्रा कम रही जिसके चलते रूरल रिकवरी ने डिमांड को आगे बढ़ाया है.


इससे पहले 2 बार डिमांड 3 करोड़ के पार गई थी


इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले केवल 2 बार मनरेगा के तहत काम की मांग ने 3 करोड़ की संख्या को पार कर लिया था. मई 2020 में  ये संख्या 3.3 करोड़ पर रही थी और इसके बाद जून 2020 में ये 3.89 करोड़ पर रही थी. 


क्या कारण रहा बढ़ी मांग का


6 जुलाई को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स ने रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा है कि सरकार के रबी और खरीफ की फसल का एमएसपी बढ़ाने, गन्ने का एफआरपी बढ़ाने और मनरेगा के तहत भत्ता बढ़ने का फायदा खास तौर पर ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को मिला है. इसके अलावा ग्रामीण परिवारों में रोजगार की स्थिति में सुधार देखने को मिला है.


क्या है मनरेगा


महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम एक फ्लैगशिप स्कीम है जिसके अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है. इसके तहत लाभार्थी को अनस्किल्ड मैनुअल काम दिया जाता है और उन्हें 100 दिन की मजदूरी मिलनी सुनिश्चित की जाती है.


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