कोरोना संकट में कई लोगों की आय घट गई है. ऐसे में म्यूचुअल फंड के निवेशकों को भी अपने निवेश को जारी रखने में दिक्कत आ रही है. कई म्यूचुअल फंड निवेशकों ने अपने सिप रोक  या बंद कर दिए हैं. लेकिन इस समस्या का हल है. सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी STP से म्यूचुअल फंड निवेशक एक निश्चित रकम एक ही म्यूचुअल फंड हाउस की दूसरी स्कीम में डाल सकते है.


इस तरह एक निश्चत अंतराल में एक निश्चित रकम या यूनिट आपकी चुनी हुई स्कीम में ट्रांसफर होती रहती है. जैसे कोई निवेशक एकमुश्त रकम डेट फंड में लगाता और एक तय समय अंतराल में थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी स्कीम में ट्रांसफर करता रहता है. अमूमन निवेशक लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट फंड निवेश करते हैं और इसे इक्विटी फंड में ट्रांसफर करते रहते हैं.


ऐसे काम करता है STP
मान लीजिए आप दो लाख रुपये निवेश करना चाहते हैं लेकिन शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को देखते हुए आप STP का विकल्प अपनाते हैं. आप तय करते हैं कि दो लाख रुपये में हर महीने दस हजार रुपये इक्विटी फंड चला जाएगा. इस तरह एक लाख नब्बे हजार रुपये डेट फंड में रहता है बाकी दस हजार रुपये इक्विटी फंड में निवेश होता रहता है.


इस तरह आपने जो रकम इक्विटी फंड में ट्रांसफर किया है, उस पर भी आपको कमाई होगी और डेट फंड में निवेश की हुई रकम पर भी. एक तरह से यह जोखिम को बांट लेने जैसा है. इससे मुश्किल आर्थिक हालात यानी इकनॉमी में उतार-चढ़ाव की वजह से म्यूचुअल फंड में आई अस्थिरता से आप खुद का काफी हद तक बचाव कर लेते हैं.


STP अपनाने का बेहतर वक्त
शेयर मार्केट में मौजूदा अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए निवेशकों को एसटीपी का विकल्प आजमाना चाहिए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल ब्याज दरों के निचले स्तर की वजह से डेट फंडों में बेहतर रिटर्न की गुंजाइश है. लेकिन आने वाले दिनों में इक्विटी मार्केट में अच्छी रिकवरी हो सकती है. इसलिए इस वक्त डेट फंड में अपना निवेश बरकरार रखते हुए धीरे-धीरे अपना पूरा निवेश लार्जकैप फंड, मल्टीकैप फंड और लॉर्ज एंड मिडकैप फंड में ट्रांसफर कर देना चाहिए.