Manipur Violence: देश में कही भी हिंसा होती है या प्राकृतिक आपदा आती है. ऐसे हालत में स्थानीय लोग अपना घर-बार छोड़कर हर हाल में राज्य से बाहर जाना चाहते हैं. लेकिन एयरलाइंस के लिए ये आपदा कमाई के सबसे बड़े अवसर में बदल जाता है. ये पहले भी होता आया है और एक बार फिर घरेलू एयरलाइंस की असवेंदनशीलता उजागर हो गई है. देश के पूर्वोतर राज्य मणिपुर में भारी हिंसा के बाद लोग राज्य से बाहर जाना चाहते हैं लेकिन एयरलाइंस का किराया आसमान छू रहा है जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. महज एक घंटे के सफर के हवाई सफर के लिए एयरलाइंस 11200 से लेकर 17000 रुपये तक के किराये की डिमांड कर रहे हैं. 


1 घंटे का हवाई सफर, 11000 से 17000 किराया 


मणिपुर की राजधानी इंफाल से नजदीकी एयरपोर्ट गुवाहाटी और कोलकाता है.  अगर आप 9, 10, 11 और 12 मई को इंफाल से गुवाहाटी जाना चाहते हैं तो आपको प्रति व्यक्ति 11,200 से लेकर 15,100 रुपये किराया चुकाना होगा जिस पर जीएसटी अलग से देना होगा. पहले 2700 रुपये के करीब किराया हुआ करता था. इंफाल से कोलकाता 1.10 घंटे के हवाई सफर के लिए एयरलाइंस 9 मई को डायरेक्ट फ्लाइट के लिए 17000 रुपये से ज्यादा एयर फेयर चार्ज कर रहे हैं. कनेक्टिंग फ्लाइट्स का चार्ज 20000 से 25000 रुपये है. सामान्य समय में एयरलाइंस 3700 रुपये किराया वसूलते थे. मणिपुर में हिंसा के बाद ज्यादातर लोग गुवाहाटी या फिर कोलकाता जाना चाह रहे हैं.  


पहली भी एयरलाइंस कर चुके हैं मनमानी


मणिपुर में पिछले हफ्ते शुरू हुई हिंसा के बाद 54 लोगों की जानें जा चुकी है. जानमाल का भारी नुकसान हुआ है. सरकार ने वहां सेना तैनात किया है. लेकिन लोग अपनी जान बचाकर फिलहाल बाहर जाना चाहते हैं. लेकिन लोगों की जवन पर आफत बनी हुई तो भी एयरलाइंस का मकसद कमाई ही नजर आ रहा है. ये महला मौका नहीं है जब एयरलाइंस की तरफ से ऐसा हरकत देखा जा रहा है. इससे पहले हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान भी एयर फेयर आसमान छू रहा था. 


सरकार ने एयरलाइंस को सौंपा किराया तय करने का अधिकार  


बीते वर्ष 31 अगस्त 2022 से पहले तक हवाई किराया का अपर और लोअर बैंड सरकार तय कर रही थी. कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जब सरकार ने फिर से हवाई यात्रा को हरी झंडी दी तो सरकार ने हवाई किराये को रेग्युलेट करना शुरू कर दिया था.  लेकिन 31 अगस्त 2022 के बाद से सरकार ने कोरोना पूर्व दौर के समान हवाई किराया तय करने का अधिकार फिर से  एयरलाइंस को सौंपा दिया. उसके बाद से है हवाई किराये में जबरदस्त उछाल देखा गया है. संसद की स्थाई समिति ने भी हवाई किराये में बढ़ोतरी को लेकर सवाल खड़े किए थे और समिति ने सरकार से हवाई किराये के अपर और लोअर लिमिट पर कैप लगाने की सिफारिश की थी. 


हवाई यात्रियों को लूटने का अधिकार नहीं!


समिति ने कहा कि कमर्शियलाईजेशन के नाम पर हवाई यात्रियों को लूटने का मौका हरगिज नहीं दिया जाना चाहिए. स्थाई समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वो हवाई किराये तय करने के लिए ऐसा प्राइसिंग मैकेनिज्म तैयार करे जिससे यात्रियों से भारी भरकम किराया एयरलाइंस ना वसूल सकें. लेकिन मणिपुर हिंसा के बाद जिस तरह हवाई किराया महंगा हुआ है ऐसे में एयरलाइंस को हवाई किराया तय करने के अधिकार सौंपने के सरकार के फैसले पर सवाल उठने लगे है. 


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