MCLR Hike Loan Costly: रिजर्व बैंक ने देश में महंगाई कंट्रोल (Inflation Control) करने के लिए साल 2022 में मई से लेकर अबतक कुल 5 बार अपने रेपो रेट में इजाफा किया है. इस साल रिजर्व बैंक का रेपो रेट 2.25 फीसदी तक बढ़ चुका है. आखिरी बार रिजर्व बैंक नें 7 दिसंबर, 2022 को अपने रेपो रेट में 0.35 फीसदी की बढ़त की है. इस बढ़ोतरी के बाद से ही कई बैंकों ने अपने लोन की ब्याज दरों और एफडी रेट्स में इजाफा किया है. अब इस लिस्ट में दो और बैंकों के नाम भी शामिल हो गए हैं. यह बैंक हैं इंडसइंड बैंक और आरबीएल बैंक. इन दोनों बैंकों अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट में (Marginal Cost of Lending Rate) बढ़ोतरी की है. जानते हैं कि दोनों बैंक के नए MCLR कितने बढ़ है और नए रेट्स कब से लागू हो चुके हैं.


इंडसइंड बैंक का नया MCLR-


इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) ने अपने एमसीएलआर (MCLR) में 5 से 15 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद से ही ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ बढ़ेगा. बैंक की नई दरें 22 दिसंबर, 2022 से लागू हो चुकी हैं. बैंक के ओवरनाइट लोन पर 8.80 फीसदी ब्याज ऑफर किया जा रहा है. वहीं 1 महीने के लोन का MCLR बढ़कर 8.85 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं 3 महीने का MCLR 9.20 फीसदी, 6 महीने का MCLR 9.60 फीसदी, 1 साल का MCLR 9.95 फीसदी, 2 साल और 3 साल का MCLR 10.15 फीसदी तक पहुंच गया है.


आरबीएल बैंक का नया MCLR-


आरबीएल बैंक (RBL Bank) ने अपने एलसीएलआर में 10 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद से ही लोन की ब्याज दरों में इजाफा हो गया है. यह बढ़ोतरी नए और पुराने दोनों ही ग्राहकों के लिए लागू हो चुकी है. बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक आरबीएल बैंक का ओवरनाइट MCLR 8.70 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं 1 महीने का MCLR 8.80 फीसदी, 3 महीने का MCLR 9.10 फीसदी, 6 महीने का MCLR 9.50 फीसदी और 1 साल का MCLR 9.90 फीसदी पर आ गया है.


क्या है मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट?


आपको बता दें मौजूदा समय में सभी फ्लोटिंग रेट्स वाले लोन एमसीएलआर या फिर एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट से जुड़ा है. अप्रैल 2016 में एमसीएलआर को लागू किया गया था. आरबीआई के नए गाइडलाइन के मुताबिक अब कमर्शियल बैंक बेस रेट के बदले मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर के आधार पर कर्ज देते हैं. एमसीएलआर को निर्धारित करने के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बहुत मायने रखता है. रेपो रेट में कोई भी बदलाव होने पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड में बदलाव आता है. फ्लोटिंग रेट पर ग्राहकों ने जो लोन लिया हुआ है उसे रीसेट जब किया आएगा तो नए एमसीएलआर के आधार पर ग्राहकों के लोन की ब्याज दरों तय की जाएगी जिसके बाद उनकी ईएमआई महंगी हो जाएगी. 


ये भी पढ़ें-


Petrol-Diesel Price: क्रूड ऑयल में दर्ज की गई जबरदस्त बढ़ोतरी, क्या आपके शहर में बढ़ गए पेट्रोल-डीजल के भाव? यहां चेक करें नए रेट्स