Minimum Wage: देश में श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए लाए गए मिनिमम वेज कानून ने बहुत हद तक लोगों को मिलने वाली न्यूनतम वेतन का स्तर उठाने में मदद की है. हालांकि, कई कंपनियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने इस नियम से बचने के अलग-अलग उपाय निकाल लिए हैं. इसलिए अब इस कानून को और बेहतर बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि इसके नियम और कायदे पहले से ज्यादा स्पष्ट एवं मजबूत होकर कर्मचारियों की मदद कर सकें. इसके लिए सरकार जल्द ही मिनिमम वेज (Minimum Wage) की जगह लिविंग वेज (Living Wage) सिस्टम को लाने जा रही है. आइए इसके बारे में और समझ लेते हैं.


2025 में आ सकता है लिविंग वेज सिस्टम


हाल ही में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाईजेशन (ILO) ने भी लिविंग वेज सिस्टम की वकालत की थी. आईएलओ ने इस संबंध में जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. आईएलओ चाहती है कि लिविंग वेज के जरिए इस सिस्टम को और स्पष्ट किया जाए. अब इकोनॉमिक टाइम्स ने एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के हवाले से दी रिपोर्ट में कहा है कि भारत मिनिमम वेज सिस्टम (Minimum Wage System) को लिविंग वेज सिस्टम (Living Wage System) में बदलने की प्रक्रिया 2025 में करने वाला है. भारत में करीब 50 करोड़ मजदूर हैं. इनमें से 90 फीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. इनमें से अधिकतर को मिनिमम वेज नहीं मिल पाते.


जानिए क्या है मिनिमम वेज सिस्टम 


भारत में फिलहाल मिनिमम वेज सिस्टम लागू है. इसके तहत प्रति घंटे की वेतन की गणना की जाती है. भारत में विभिन्न राज्यों में यह राशि प्रति घंटा के हिसाब से अलग-अलग तय की गई है. किसी भी कर्मचारी को इससे कम पैसा नहीं दिया जा सकता. महाराष्ट्र में यह राशि 62.87 रुपये और बिहार में 49.37 रुपये प्रति घंटा है. अमेरिका में यही रकम 7.25 डॉलर (605.26 रुपये) है. भारत में असंगठित सेक्टर में काम करने वालों को मिनिमम वेज भी बहुत मुश्किल से मिल पाते हैं. सरकार भी इन सेक्टर में बहुत कार्रवाई नहीं कर पाती है.


लिविंग वेज सिस्टम से क्या बदल जाएगा 


यदि सामान्य शब्दों में लिविंग वेज सिस्टम को समझा जाए तो इसमें रोटी, कपड़ा और मकान से एक कदम आगे जाकर सोचा जाता है. लिविंग वेज में वर्कर के सामाजिक उत्थान के लिए आवश्यक कई जरूरी चीजों के बारे में भी ध्यान दिया जाता है. इस सिस्टम में ध्यान दिया जाता है कि वर्कर और उसके परिवार को सामाजिक सुरक्षा के साधन भी मिलें. लिविंग वेज सिस्टम में लेबर को मूलभूत जरूरतों से ऊपर जाकर घर, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़े जैसी कई जरूरतें शामिल होती हैं.


ये भी पढ़ें 


Boeing: दुर्घटनाओं की मार झेल रही बोइंग का सख्त फैसला, सीईओ समेत टॉप मैनेजमेंट को दिखाया बाहर का रास्ता