बड़े और इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर लिक्विड फंड में निवेश से दूरी बनाते जा रहे हैं. इन फंड्स में निवेश करने वाले डेट प्रोडक्ट के रिटर्न घटते जा रहे हैं. शॉट टर्म बॉन्ड में निवेश करने वाले इन फंड्स के रिटर्न में हाल के दिनों में काफी गिरावट आई है. अब बड़े और इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स इसमें पैसा नहीं लगा रहे हैं. बेहतर रिटर्न की उम्मीद में वे अब दूसरे फिक्स्ड रिटर्न कैटेगरी के इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगा रहे हैं.


रिटर्न 5-5.5 फीसदी से घट कर अब 3 -3.5 फीसदी पर 


लिक्विड फंड डेट फंड में सबसे सुरक्षित माने जाते है. कॉरपोरेट और अमीर निवेशकों ( HNI) के बीच ये काफी पसंद किए जाते हैं. अपने कैश को थोड़े समय के लिए निवेश कर वे अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं. लेकिन पिछले कुछ महीनों से इनका रिटर्न घट कर 3 से 3.5 फीसदी रह गया है. सिस्टम में कैश की अधिकता और रिटर्न में लगातार कमी की वजह से अब ये निवेशक ऐसे निवेश प्रोडक्ट आजमा रहे हैं, जिनका रिटर्न ज्यादा है.


एयूएम में भारी गिरावट 


पिछले एक साल में लिक्विड फंड के तहत एयूएम (Asset Under Managment) 5.19 लाख करोड़ रुपये से गिर कर 4.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. अप्रैल में यह 4.13 लाख करोड़ पर था लेकिन अक्टूबर में यह और गिर कर 4.04 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. विश्लेषकों का कहना है कि लिक्विड स्कीम के नियम अब काफी कड़े कर दिए गए हैं. रिटर्न घटने की यह भी एक वजह है. पहले लिक्विड फंड पर 5.5 से 6 फीसदी रिटर्न मिल रहा था लेकिन अब सिर्फ 3 से 3.5 फीसदी तक ही रिटर्न मिल रहा है. अब ज्यादा रिटर्न के लिए निवेशकों ने अल्ट्रा शॉर्ट टर्म, मनी मार्केट, लो ड्यूरेशन, बैंकिंग और और पीएसयू डेट फंड में पैसा लगा रहे हैं. लिक्विड फंड की तुलना में इनमें 300 से 400 बेसिस प्वाइंट ज्यादा रिटर्न मिल रहा है. इसमें कोई एग्जिट लोड नहीं लगता. लिहाजा लिक्विड फंड की तुलना में निवेशक अब इसे ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं.


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