IPO Allotment Criteria: दो दिनों में भारतीय शेयर बाजार में तीन आईपीओ इरेडा, टाटा टेक्नलॉजीज और गांधार ऑयल की जैसी धमाकेदार लिस्टिंग हुई है उसके बाद वे निवेशक जिन्होंने आईपीओ में आवेदन किया लेकिन उन्हें शेयर अलॉट नहीं हुआ वे बेहद मायूस हैं. लेकिन जिन्हें शेयर अलॉट हुए उनकी तो बल्ले-बल्ले हो गई है. 


इरेडा और टाटा टेक ने दिया मल्टीबैगर रिटर्न


सार्वजनिक क्षेत्र की ग्रीन एनर्जी क्षेत्र से जुड़ी एनबीएफसी कंपनी इरेडा (Indian Renewable Energy Development Agency) और टाटा समूह की कंपनी टाटा टेक के आईपीओ ने लिस्टिंग के बाद ही निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दे दिया है. बुधवार 29 नवंबर को इरेडा की लिस्टिंग हुई जिसका आईपीओ 32 रुपये पर आया था. स्टॉक गुरुवार को 65.30 रुपये पर क्लोज हुआ है. यानि आईपीओ में जिन निवेशकों को शेयर मिले उनका पैसा डबल से भी ज्यादा हो चुका है. टाटा टेक 500 रुपये के इश्यू प्राइस पर आईपीओ लेकर आई और लिस्टिंग के पहले ही दिन इश्यू प्राइस से 813 रुपये ऊपर या 162.50 फीसदी के उछाल के साथ बंद हुआ है. गांधार ऑयल के आईपीओ की भी धमाकेदार लिस्टिंग हुई और स्टॉक 103 फीसदी इश्यू प्राइस के ऊपर जा पहुंचा था लेकिन 78 फीसदी के उछाल के साथ गुरुवार को स्टॉक क्लोज हुआ है. 


अलॉटमेंट नहीं पाने वाले निराश 


इन आईपीओ की शानदार लिस्टिंग को देखते हुए जिन निवेशकों के शेयर नहीं मिला वे बेहद पछता रहे होंगे. उनके मन में ये सवाल जरुर कौंध रहा होगा कि आखिरकार आईपीओ में आवेदन करने के बाद शेयर अलॉटमेंट कैसे किया जाता है? क्यों औरों को शेयर अलॉट हो गया और उन्हें नहीं मिला. दरअसल इरेडा का आईपीओ जहां 39 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ है. वहीं टाटा टेक का आईपीओ 70 गुना सब्सक्राइब हुआ है. गांधार ऑयल का आईपीओ 64 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था. इसका अर्थ ये हुआ कि इन कंपनियों ने आईपीओ में जितने शेयर ऑफर किए थे उसके मुकाबले कई गुना ज्यादा शेयर्स के लिए आवेदन मिले हैं. 


ऐसे होता है आईपीओ में शेयर अलॉट 


जब कोई आईपीओ बहुत ज्यादा ओवरसब्सक्राइब हो जाता है तो शेयर अलॉटमेंट लॉटरी सिस्टम के जरिए किया जाता है. से सिस्टम कंप्यूटर एल्गोरिदम (Computer Algorithm) पर आधारित होता है जो रैनडम तरीके से पात्र रखने वाले निवेशकों को शेयर अलॉट करते हैं. दरअसल हाल के दिनों में आईपीओ में सब्सक्रिप्शन बहुत ज्यादा होने लगा है ऐसे में आईपीओ में अलॉटमेंट प्रक्रिया लॉटरी निकलने के समान हो चुका है. जिन्हें आईपीओ में शेयर अलॉट हो गया उनकी खुशकिस्मती है. 


लेकिन जो आईपीओ कम ओवर सब्सक्राइब होता है तो सभी निवेशकों को एक से कम एक लॉट जरुर शेयर आवंटित कर दी जाती है. और बचे हुए लॉट को जितने लॉट के लिए निवेशकों ने आवेदन किया उनसके अनुपात में शेयर अलॉट किया जाता है जिसे प्रो-राटा अलॉटमेंट भी कहा जाता है.  


जब किसी आईपीओ के लिए ज्यादा डिमांड होता है और कंपनी की ओर किए गए ऑफर से ज्यादा शेयरों के लिए आवेदन आ जाता है तो संस्थागत निवेशकों और एचएनआई को उनके आवेदन के अनुपात में या फिर हर निवेशक को एक लॉट अलॉट करने के बाद उनके आवेदन के अनुपात में शेयर आवंटित किया जाता है. जबकि छोटे यानि रिटेल निवेशकों को लॉटरी सिस्टम के तहतशेयर आवंटित किया जाता है. ऐसे में आईपीओ में अलॉटमेंट निवेशकों के किस्मत पर निर्ङक करने लगा है.  


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