छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले निवेशकों को सरकार ने नए साल का तोहफा दे दिया है. सुकन्या समृद्धि योजना समेत कई छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में बदलाव किया गया है. चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2024 के लिए की गई ताजी समीक्षा के बाद सरकार ने 29 दिसंबर शुक्रवार को नई ब्याज दरों का ऐलान किया. हालांकि पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड के निवेशकों को इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है.

इनकी ब्याज दरों में बदलाव

शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों में 10 से 20 बेसिस पॉइंट यानी 0.20 फीसदी तक की वृद्धि की गई है. सबसे ज्यादा फायदा सुकन्या समृद्धि योजना को हुआ है, जिसका ब्याज अब 0.20 फीसदी बढ़कर 8.20 फीसदी हो गया है. साल भर में इसके ब्याज में दूसरी बार बढ़ोतरी हुई है. वहीं 3-साल के डिपॉजिट पर ब्याज को 0.10 फीसदी बढ़ाकर 7.10 फीसदी कर दिया गया है. अन्य छोटी बचत योजनाओं के ब्याज में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें

ताजे बदलाव के बाद विभिन्न छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें कुछ इस प्रकार हैं. ये दरें जनवरी से मार्च 2024 के तीन महीनों के लिए है. नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2024 की अवधि के लिए ब्याज दरों की समीक्षा अगले साल मार्च में होगी...

छोटी बचत योजना जनवरी-मार्च 2024 के लिए ब्याज (प्रतिशत में) अक्टूबर-दिसंबर 2023 का ब्याज (प्रतिशत में)
सेविंग डिपॉजिट 4.00 4.00
1-साल का डिपॉजिट 6.90 6.90
2-साल का डिपॉजिट 7.00 7.00
3-साल का डिपॉजिट 7.10 7.00
5-साल का डिपॉजिट 7.50 7.50
5-साल का रेकरिंग डिपॉजिट 6.70 6.70
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 8.20 8.20
मासिक आय खाता 7.40 7.40
राष्ट्रीय बचत पत्र 7.70 7.70
पब्लिक प्रोविडेंट फंड 7.10 7.10
किसान विकास पत्र 7.50 (115 महीने) 7.50 (115 महीने)
सुकन्या समृद्धि योजना 8.20 8.00

इन कारणों से पीपीएफ लोकप्रिय

पीपीएफ छोटी बचत करने वाले लोगों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प रहा है. इसमें निवेश करने पर निवेशकों को एक साथ कई फायदे मिलते हैं. एक तरफ यह अभी बचत कर रिटायरमेंट के बाद के जीवन को सुरक्षित बनाने में मदद करता है. इसमें कम रिस्क के साथ स्थिर रिटर्न का फायदा मिलता है. साथ ही पीपीएफ में निवेश से निवेशकों को टैक्स से जुड़े कई फायदे भी मिलते हैं.

इनकम टैक्स का डबल फायदा

इनकम टैक्स के सेक्शन-80सी के तहत पीपीएफ में कंट्रीब्यूशन पर यानी पीपीएफ में निवेश करने पर 1.5 लाख रुपये तक की कमाई को टैक्स-फ्री बनाया जा सकता है. इस स्कीम में एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 1.5 लाख रुपये का ही निवेश किया जा सकता है. दूसरी ओर पीपीएफ से होने वाली कमाई भी पूरी तरह से टैक्स-फ्री होती है. चाहे पीपीएफ पर ब्याज से हो रही कमाई हो या मैच्योरिटी के बाद मिलने वाली रकम, दोनों पर इनकम टैक्स नहीं लगता है.

अप्रैल 2020 से नहीं हुआ बदलाव

ताजे बदलाव के बाद पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 फीसदी पर स्थिर है. इस साल कुछ छोटी बचत योजनाओं के ब्याज को दो-दो बार बढ़ाया गया, लेकिन पीपीएफ के मामले में एक बार भी बदलाव नहीं किया. इस बार लोगों को इस बात की काफी उम्मीदें थीं कि पीपीएफ पर सरकार ब्याज बढ़ा सकती है. हालांकि पीपीएफ के निवेशकों के हिस्से फिर से निराशा ही आई है. पीपीएफ के ब्याज में दरअसल अप्रैल 2020 से ही कोई बदलाव नहीं किया गया है. अब चूंकि मार्च 2024 तक यही ब्याज रहने वाला है. मतलब पीपीएफ पर ब्याज दरों के स्थिर रहने की अवधि के पूरे 4 साल हो जाएंगे.

तय फॉर्मूले से इतना कम है ब्याज

पीपीएफ की ब्याज दरें श्यामल गोपीनाथ समिति की सिफारिशों के आधार पर तय होती हैं. समिति ने पीपीएफ के ब्याज को 10 साल वाली गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की यील्ड से लिंक करने का सुझाव दिया था, ताकि इसके निवेशकों को मार्केट से लिंक्ड ब्याज दरों का लाभ मिल सके. समिति की सिफारिशों के हिसाब से देखें तो पीपीएफ की ब्याज दरें 10 साल वाले गवर्नमेंट बॉन्ड की यील्ड से 0.25 फीसदी अधिक होनी चाहिए. सितंबर-अक्टूबर 2023 के दौरान बेंचमार्क 10-ईयर बॉन्ड की यील्ड 7.28 फीसदी रही. इस तरह फॉर्मूले के हिसाब से अभी पीपीएफ पर ब्याज की दर 7.53 फीसदी होनी चाहिए.

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