भारत में महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने लग गई है. सितंबर महीने में खुदरा महंगाई एक बार फिर से रिजर्व बैंक के दायरे में आ गई, जबकि थोक महंगाई की दर शून्य से कम बनी रही. इस बीच अब रिजर्व बैंक ने भी माना है कि महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने लगी है और इससे अब देश के वृहद आर्थिक हालात बेहतर हो रहे हैं.


रिजर्व बैंक ने कही ये बड़ी बातें


रिजर्व बैंक ने गुरुवार को एक ताजे आर्टिकल में महंगाई और आर्थिक हालात जैसे मुद्दों पर बातें की. सेंट्रल बैंक ने आर्टिकल में साफ कहा है कि भले ही तीसरी तिमाही यानी सितंबर तिमाही से ग्लोबल ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ने लगी हो, भारत में वृहद आर्थिक परिस्थितियों में सुधार हुआ है और इसका सबसे बड़ा कारण महंगाई के मोर्चे पर देश में मिल रही राहत है.


इतनी कम हुई खुदरा महंगाई


आपको बता दें कि सितंबर महीने में खुदरा महंगाई की दर कम होकर 5.02 फीसदी पर आ गई. खुदरा महंगाई के मामले में मुश्किलें उस समय बढ़ गई थीं, जब अप्रैल के बाद फिर से तेजी का ट्रेंड लौट आया था और जुलाई में खुदरा महंगाई नए शिखर पर पहुंच गई थी. हालांकि उसके बाद तेजी से सुधार आया और अब खुदरा महंगाई फिर से रिजर्व बैंक के दायरे में है. रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई के लिए 6 फीसदी की ऊपरी लिमिट और 2 फीसदी की निचली लिमिट तय की है.


ऐसी हो गई थी महंगाई की स्थिति


इससे पहले जुलाई 2023 में खुदरा महंगाई की दर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी. खुदरा मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई आधारित महंगाई अगस्त 2023 में 6.83 फीसदी रही थी, जबकि साल भर पहले सानी सितंबर 2022 में खुदरा महंगाई की दर 7.41 फीसदी रही थी. रिजर्व बैंक रेपो रेट तय करते समय खुदरा महंगाई को ही ध्यान में रखता है. अभी खाद्य महंगाई कम होने से ओवरऑल खुदरा महंगाई कम हुई है.


ताजे बुलेटिन में आया है आर्टिकल


आरबीआई के ताजे बुलेटिन में प्रकाशित स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी आर्टिकल के अनुसार, हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर बता रहे हैं कि भारत में व्यापक स्तर पर मोमेंटम बनने लगा है. क्षमता का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने और कर्ज के स्तर को कम करने से पूंजी पर निर्भर उद्योगों को गति मिलने लगी है. भारतीय रुपये में उथल-पुथल कम है. महंगाई जुलाई के शिखर स्तर की तुलना में सुधरी है. कुल मिलाकर वृहद आर्थिक परिस्थितियों में सुधार हो रहा है.


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