Indian Overseas Bank OFS: इंडियन ओवरसीज बैंक की बिक्री पेशकश (ओएफएस) गैर-खुदरा निवेशकों के लिए 34 रुपये प्रति शेयर के न्यूनतम मूल्य पर बुधवार को अभिदान के लिए खुली. सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) में तीन प्रतिशत तक हिस्सेदारी का विनिवेश बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये करने का फैसला किया है.

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सरकार की क्या है योजना?

सरकार न्यूनतम मूल्य पर तीन प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर करीब 1,960 करोड़ रुपये जुटाएगी. शेयर बिक्री विवरण के अनुसार, खुदरा निवेशकों के लिए बिक्री पेशकश बृहस्पतिवार को खुलेगी. इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के ओएफएस के लिए न्यूनतम मूल्य 34 रुपये प्रति शेयर निर्धारित किया गया है.

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आईओबी का शेयर मंगलवार को बीएसई पर 1.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 36.57 रुपये पर बंद हुआ था. आईओबी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि सरकार मूल पेशकश के तहत दो प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर 38.51 करोड़ शेयर बेचेगी. 

इसके अलावा 'ग्रीन शू' विकल्प यानी अतिरिक्त बोली आने पर उसे रखने के तहत अतिरिक्त एक प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर 19.25 करोड़ शेयर भी बेचने का विकल्प रखा गया है. कुल मिलाकर यह बैंक की चुकता इक्विटी पूंजी का तीन प्रतिशत है. फिलहाल चेन्नई स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 94.61 प्रतिशत है. 

बैंक ने दी जानकारी

बैंक ने यह भी बताया कि ओएफएस के तहत 1.5 लाख शेयर (करीब 0.001 प्रतिशत हिस्सेदारी) पात्र कर्मचारियों के लिए आरक्षित किए जा सकते हैं. पात्र कर्मचारी सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी होने पर अधिकतम पांच लाख रुपये तक के शेयरों के लिए आवेदन कर सकेंगे. यह विनिवेश न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी नियमों के अनुरूप है, जिसके तहत सूचीबद्ध कंपनियों में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी आम जनता के पास होना अनिवार्य है. 

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों को इस नियम पर खरा उतरने के लिए अगस्त, 2026 तक की छूट दी है. आईओबी के अलावा पंजाब एंड सिंध बैंक (93.9 प्रतिशत), यूको बैंक (91 प्रतिशत) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (89.3 प्रतिशत) में भी सरकार की हिस्सेदारी तय सीमा से अधिक है.

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