आईटी सेक्टर की नौकरियों को ड्रीम जॉब माना जाता रहा है. आज भी यह सेक्टर नौकरी और करियर में ग्रोथ के शानदार मौके मुहैया करा रहा है, लेकिन मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों ने इसे गहरे तक प्रभावित किया है. इसी कारण एक ओर दिग्गज कंपनियां भी छंटनी और सैलरी में कटौती का सहारा ले रही हैं, वहीं दूसरी ओर नौकरियों के नई मौकों में गिरावट आई है. इन सब के बीच विप्रो ने एक अजीब कदम उठाया है, जिससे फ्रेशर्स की परेशानियां बढ़ गई हैं.


ऑनबोर्डिंग का इंतजार कर रहे फ्रेशर्स


कई भारतीय आईटी कंपनियों के बारे में ऐसी खबरें हैं कि वे फ्रेशर्स को ऑनबोर्ड कराने में देरी कर रही हैं. कुछ मामलों में तो फ्रेशर्स को सेलेक्शन के बाद 1-2 साल से भी ज्यादा समय बीत गए हैं, लेकिन अब तक उनकी ऑनबोर्डिंग नहीं हो पाई है. विप्रो भी वैसी कंपनियों में एक है, जहां ऑनबोर्डिंग में काफी देरी चल रही है. अब विप्रो ने ऑनबोर्डिंग का इंतजार कर रहे फ्रेशर्स के सामने एक नई शर्त रख दी है.


टेस्ट के बाद होगी छंटनी


बिजनेस टुडे की एक खबर के अनुसार, विप्रो में ऑनबोर्डिंग का इंतजार कर रहे फ्रेशर्स को अब एक नई ट्रेनिंग से गुजरना होगा. उसके बाद कंपनी सभी का टेस्ट लेगी. जो लोग टेस्ट को पास करेंगे, उन्हें ऑनबोर्ड किया जाएगा, जबकि बाकियों को छांट दिया जाएगा. विप्रो ने यह नया कदम ऐसे समय उठाया है, जब वह पहले ही फ्रेशर्स की सैलरी को लगभग आधा कर चुकी है. कंपनी ने फ्रेशर्स की सैलरी को इसी साल फरवरी में 6.5 लाख सालाना से घटाकर 3.5 लाख रुपये कर दिया है.


एक फ्रेशर ने बताया अपना दर्द


खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी ने नई ट्रेनिंग की शर्त तब जोड़ी है, जबकि ऑनबोर्डिंग का इंतजार कर रहे फ्रेशर्स पहले ही एक ट्रेनिंग को पूरा कर चुके हैं. खबर में एक ऐसे ही प्रभावित फ्रेशर ने बताया है कि उसे पहले ही वेलोसिटी ट्रेनिंग दी जा चुकी है. उसके बाद कंपनी की ओर से 6.5 लाख रुपये का पैकेज ऑफर हुआ. करीब एक साल इंतजार कराने के बाद कंपनी ने इस साल फरवरी में उसे आधी सैलरी के साथ ज्वॉइन करने का ऑफर दिया. अब उसके सामने पीआरपी ट्रेनिंग की शर्त रखी गई है, जिसे बाद टेस्ट होगा और छांटे जाने की भी आशंका है.


इंडस्ट्री में हो रही आलोचना


फ्रेशर्स को कंपनी की ओर से नई ट्रेनिंग को लेकर भेजे गए निर्देशों में कहा गया है कि अगर कोई कर्मचारी पीआरपी ट्रेनिंग यानी प्रोजेक्ट रेडिनेस प्रोग्राम राउंड को कम से कम 60 फीसदी स्कोर के साथ पार नहीं करता है, तो ऐसे में उसे तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर दिया जाएगा. पहले से ऑनबोर्डिंग की प्रक्रिया में सालों की देरी के बाद इस तरह की शर्त थोपे जाने की काफी आलोचना भी हो रही है.


कंपनी ने नहीं दी है प्रतिक्रिया


हालांकि अभी विप्रो की तरफ से इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. कंपनी ने न तो अभी इसकी पुष्टि की है, न ही इसका खंडन किया है. आपको बता दें कि टॉप दो आईटी कंपनियां टीसीएस और इंफोसिस मार्च तिमाही का परिणाम जारी कर चुकी हैं. दोनों ही कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं थे.


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