IPO Trend in India: शेयर बिक्री में तेजी के बीच भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी.अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को इस बात पर अफसोस जताया कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) किसी उद्यम में शुरुआती निवेशकों के लिए निकासी का जरिया बन रहा है. जिससे सार्वजनिक बाजारों की भावना कमजोर हो रही है.

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यहां सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नागेश्वरन ने कहा कि देश के पूंजी बाजारों को ‘‘ न केवल पैमाने में, बल्कि उद्देश्य के लिहाज से भी ’’ विकसित होना चाहिए.

सीईए ने कही ये बात

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सीईए ने बाजार पूंजीकरण या वायदा-विकल्प कारोबार की मात्रा जैसे गलत मानक का जश्न मनाने से बचने का भी आग्रह किया. साथ ही यह स्पष्ट किया ये ‘‘वित्तीय परिष्कार’’ के उपाय नहीं हैं, बल्कि ऐसे प्रयासों से ‘‘केवल घरेलू बचत को उत्पादक निवेश से दूर करने का जोखिम उत्पन्न होता है.’’ उन्होंने कहा कि, हालांकि भारत ने एक मजबूत एवं परिष्कृत पूंजी बाजार विकसित करने में सफलता प्राप्त की है. हालांकि इसने साथ ही ‘‘ अल्पकालिक आय प्रबंधन दृष्टिकोण’’ में भी योगदान दिया ह. क्योंकि वे प्रबंधन पारिश्रमिक तथा बाजार पूंजीकरण में वृद्धि से जुड़े हैं. 

अप्रैल-सितंबर की अवधि में 55 भारतीय कंपनियों ने आईपीओ जारी करके लगभग 65,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. अधिकतर शेयर मौजूदा निवेशकों द्वारा बिक्री के लिए जारी किए गए थे और नए शेयर जारी करने की मात्रा बहुत कम थी जिससे किसी कंपनी को कोई फायदा होता है.

उन्होंने कहा कि, देश दीर्घकालिक वित्तपोषण के लिए मुख्य रूप से बैंक ऋण पर निर्भर नहीं रह सकता है. सीईए ने दीर्घकालिक उद्देश्यों के वित्तपोषण के लिए गहन बॉन्ड बाजार को ‘‘रणनीतिक आवश्यकता’’ करार दिया. 

शिक्षाविद से नीति निर्माता बने सिंह ने कहा कि, भारतीय निजी क्षेत्र को सतर्क रहने और जोखिम से बचने के लिए पर्याप्त कारण मिल गए हैं. निवेश संबंधी निर्णय नहीं लिए जाने चाहिए क्योंकि इससे देश के समक्ष मौजूद रणनीतिक बाधाएं अवसरों में बदल सकती हैं. 

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