Rupee vs Dollar: रिकॉर्ड स्तर 91 के पार फिसलने के बाद भारतीय रुपया अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप, विदेशी पूंजी प्रवाह और घरेलू शेयर बाजारों में आई मजबूती के चलते लगातार संभलता नजर आ रहा है. सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 22 पैसे की बढ़त के साथ 89.45 पर पहुंच गया, जिससे बाजार में यह संकेत मिला कि हालिया गिरावट के बाद मुद्रा पर दबाव कुछ हद तक कम हुआ है.

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क्यों मजबूत हो रहा रुपया?

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा डॉलर में निवेश, विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से शेयर बाजार में शुद्ध खरीदारी और कच्चे तेल की कीमतों का 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास स्थिर रहना रुपये के लिए सकारात्मक कारक बने हैं.

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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 89.53 पर खुला और धीरे-धीरे मजबूत होकर 89.45 के स्तर तक पहुंच गया, जबकि पिछले कारोबारी सत्र में यह 53 पैसे की मजबूती के साथ 89.67 पर बंद हुआ था. वैश्विक स्तर पर डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स लगभग स्थिर रहते हुए 98.63 पर बना हुआ है, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को भी कुछ राहत मिली है.

घरेलू शेयर बाजारों में भी सकारात्मक माहौल देखने को मिला, जहां सेंसेक्स 210 अंकों से अधिक की तेजी के साथ 85,139 के स्तर पर पहुंच गया और निफ्टी भी 154 अंकों की बढ़त के साथ 26,121 के ऊपर कारोबार करता दिखा.

शेयर बाजार में तेजी

बाजार आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बीते सत्र में करीब 1,830 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की, जिसने रुपये और शेयर बाजार दोनों को सहारा दिया. कुल मिलाकर, आरबीआई की सक्रिय भूमिका, विदेशी निवेश का समर्थन और वैश्विक संकेतकों में स्थिरता के चलते भारतीय रुपया फिलहाल मजबूत रुख में दिखाई दे रहा है, हालांकि आगे इसकी दिशा वैश्विक आर्थिक हालात और पूंजी प्रवाह पर निर्भर करेगी.