World First Airport: आज के समय में हवाई यात्रा काफी आम लगती है. लेकिन इसकी शुरुआत उन मामूली हवाई पट्टियों से हुई जिन्होंने इतिहास बदल दिया. पहले एयरपोर्ट कमर्शियल यात्रियों के लिए नहीं बल्कि एक्सपेरिमेंट और ट्रेनिंग के लिए बनाए गए थे. यूनाइटेड स्टेट्स के दुनिया के सबसे पुराने चालू एयरपोर्ट से लेकर मुंबई में भारत के पहले सिविल हवाई अड्डे तक इन शुरुआती एविएशन हब ने आधुनिक हवाई यात्रा की नींव रखी थी. आइए जानते हैं इन सब के बारे में पूरी जानकारी.

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दुनिया का पहला एयरपोर्ट 

मैरीलैंड यूनाइटेड स्टेट्स में कॉलेज पार्क एयरपोर्ट को दुनिया का पहला और सबसे पुराना लगातार चालू रहने वाला एयरपोर्ट कहा जाता है. 1909 में एविएशन के पायनियर विल्बर राइट ने यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी के अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए इस जगह को चुना था. 1911 में इस एयरपोर्ट पर पहला यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री एविएशन स्कूल स्थापित किया गया. इसी के साथ 1912 तक आते-आते यह विमानों से मशीन गन फायरिंग और बम गिराने के पहले एक्सपेरिमेंट की जगह बन गया. 1924 में दुनिया की पहली कंट्रोल्ड हेलीकॉप्टर उड़ान यहां पर सफलतापूर्वक की गई.  इस एक फैसले ने इस साधारण मैदान को ऑर्गेनाइज्ड एविएशन ट्रेनिंग के रूप में विकसित कर दिया था.

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भारत का पहला एयरपोर्ट 

भारत की सिविल एविएशन की यात्रा 1928 में स्थापित मुंबई के जूहू एयरोड्रोम से शुरू हुई. उस वक्त यह बॉम्बे के जुहू इलाके में बनाई गई एक मामूली हवाई पट्टी थी. इस एयरपोर्ट से 15 अक्टूबर 1932 को भारत की पहली शेड्यूल्ड कमर्शियल मेल फ्लाइट उड़ाई गई. इस फ्लाइट को जेआरडी टाटा ने कराची से अहमदाबाद होते हुए जूहू तक उड़ाया था. इस उड़ान ने भारत में सिविल एविएशन की औपचारिक शुरुआत की और टाटा एयरलाइंस का जन्म हुआ. टाटा एयरलाइंस आगे जाकर एयर इंडिया बन गई. 

आपको बता दें कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जूहू एयरोड्रोम मुंबई का एक मुख्य एयरपोर्ट था. 1948 तक यह ऐसा ही रहा. जैसे-जैसे एयरक्राफ्ट टेक्नोलॉजी बेहतर हुई और बड़े प्लेन सर्विस में आते गए, एक बड़े एयरपोर्ट की जरूरत काफी ज्यादा महसूस हुई. इस वजह से पास के सांताक्रुज एयरपोर्ट का विकास हुआ. इसे आज छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है. आज जुहू एयरोड्रोम कमर्शियल फ्लाइट्स को हैंडल नहीं करता लेकिन यह एक हेलीकॉप्टर के तौर पर अभी भी काम करता है. यहां रोजाना 100 हेलीकॉप्टर आते जाते हैं ज्यादातर ओएनजीसी जैसे ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए.

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