India Fiscal Deficit: वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच भारत का रोजकोषीय घाटा 4.51 लाख करोड़ रुपये रहा है जो सरकार के इस वर्ष के सलाना अनुमान को 25.3 फीसदी है. जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में वित्तीय घाटा पूरे साल के लिए सरकार के अनुमान का 21.2 फीसदी रहा था. यानि इस वर्ष पहली तिमाही में सरकार के वित्तीय घाटे में उछाल देखने को मिल रहा है. सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में 17.87 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटा रहने का लक्ष्य तय किया है. 


कंट्रोलर जन ऑफ अकाउंट्स ने ये डेटा जारी किया है जिसके मुताबिक अप्रैल से जून तिमाही के दौरान सरकार का रेवेन्यू कुल 5.99 लाख करोड़ रुपये रहा है जिसमें 4,33,620 करोड़ रुपये टैक्स रेवेन्यू और 1,54,968 करोड़ रुपये नॉन-टैक्स रेवेन्यू रहा है. जबकि 10,703 करोड़ रुपये नॉन-डेट कैपिटल रिसिप्ट्स से प्राप्त हुआ है. नॉन डेट कैपिटल रिसिप्ट्स में 6,468 करोड़ रुपये लोन की रिकवरी से और 4235 करोड़ रुपये अन्य कैपिटल रिसिप्ट्स शामिल है. 2,35,560 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को टैक्स में उनकी हिस्सेदारी के मुताबिक ट्रांसफर किया है. जो बीते वर्ष के मुकाबले 93,785 करोड़ रुपये अधिक है. 


सरकार का कुल खर्च 10.51 लाख करोड़ रुपये रहा है. जो इस वर्ष के लिए सरकार के बजट अनुमान का 23.3 फीसदी है. इसमें से 7,72,181 करोड़ रुपये रेवेन्यू अकाउंट पर और 2,78,480 करोड़ रुपये कैपिटल अकाउंट में खर्च हुए हैं. रेवेन्यू खर्च में 2,43,705 करोड़ रुपये ब्याज के भुगतान पर और 87,035 करोड़ रुपये सब्सिडी पर खर्च हुए हैं.  


आरबीआई ने अपने सरप्लस से केंद्र सरकार को 87,416 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए हैं जिसके चलते सरकार के गैर-टैक्स रेवेन्यू में उछाल देखने को मिला है. इस वर्ष बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा था कि सरकार इस वित्त वर्ष में रोजकोषीय घाटे को घटाकर जीडीपी का 5.9 फीसदी रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है जो पिछले वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी रहा था. 


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