भारत और चीन के बढ़ते तनाव का असर उन स्टार्ट-अप्स पर पड़ सकता है, जिनमें चीन की फंडिंग है. भारत के टॉप स्टार्ट-अप पेटीएम, जोमाटो, उड़ान और बिगबास्केट में चीनी निवेश है. इन कंपनियों में सबसे ज्यादा चीन के निवेशकों की फंडिंग हुई है. अगर भारत में चीन का विरोध तेज हुआ और इन कंपनियों के बायकॉट की मांग ने जोर पकड़ा तो इसमें पैसा लगाने वाले चीनी निवेशक निराश हो सकते हैं.


नए स्टार्ट-अप पर पड़ेगा ज्यादा असर


चीनी निवेशकों ने जिन स्टार्ट-अप में पैसे लगाए हैं, उनमें से ज्यादातर तो खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं. लेकिन कुछ का कहना है कि इस तरह के संकट को देखते हुए स्टार्ट-अप को निवेश हासिल करने के मामले में खुद को डायवर्सिफाई करने की जरूरत है. कुछ स्टार्ट-अप कह रहे हैं कि वे अब निवेश की क्वांटिटी की जगह क्वालिटी को तरजीह दे रहे हैं. स्टार्ट-अप कारोबार के जानकारों का कहना है कि चीनी निवेशकों ने अगर कदम पीछे खींचे तो नए स्टार्ट-अप्स पर ज्यादा असर दिखेगा. चीनी निवेशक शुरुआती निवेश से तो हाथ खींच सकते हैं लेकिन जहां उनका निवेश लंबा और पुराना है वहां से इतनी जल्दी हाथ खींचना मुश्किल होगा. यह उनके लिए घाटे का सौदा होगा.


डिजिटल कंपनियों में चीन का बड़ा निवेश


चीनी निवेशकों ने 2019 में भारतीय स्टार्ट-अप में 3.9 अरब डॉलर का निवेश किया था. जबकि 2018 में यह दो अरब डॉलर था.चीनी निवेशक भारत में डिजिटल इकनॉमी में काम करने वाली कंपनियों में पैसा लगाने के मामले में सबसे आगे हैं.


सरकार ने अप्रैल में चीनी निवेश को सीमित करने के लिए एक आदेश जारी किया था. इस पर स्टार्ट-अप कंपनियों का कहना था कि अगर चीन से निवेश आना बंद या कम हो जाता है तो भारतीय स्टार्ट-अप के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व के निवेशकों का ऑप्शन खुला हुआ है. स्टार्ट-अप्स का कहना है कि चीनी निवेश के साथ हमेशा शर्तें जुड़ी होती हैं. क्वालिटी स्टार्ट-अप में 15-20 फीसदी से अधिक चीनी निवेश पसंद नहीं किया जाता है.