सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को आयकर की धारा 16 (ia)के तहत 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है. पहले यह 40 हजार तक सीमित था लेकिन बाद में इसे बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दिया गया. कारोबारी अपने विभिन्न खर्चों के मद में डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं लेकिन वेतन पाने वाले लोगों के लिए यह मुश्किल होता है. सैलरी पाने वाले लोगों के लिए मेडिकल और यात्रा पर खर्च की जानी वाली राशि को भी क्लेम करने में मुश्किल आती है . लिहाजा उनके लिए फ्लैट स्टैंडर्ड डिडक्शन की व्यवस्था की गई है. हालांकि ये डिडक्शन सैलरी पाने वाले लोगों की इनकम पर मिलता है लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिनके तहत सीनियर सिटिजन स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते.


सीनियर सिटिजन को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ इसलिए नहीं मिलता


सेक्शन 16 (ia) के तहत वैसे सीनियर सिटिजन को स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलता है जिनकी सैलरी या पेंशन से इनकम नहीं है. अगर सीनियर सिटिजन को फिक्स्ड डिपोजिट से इंटरेस्ट इनकम आ रही है तो उसे स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि इंटरेस्ट इनकम अर्जित करने वाले सीनियर सिटिजन को सेक्शन 80TTB के तहत 50 हजार रुपये तक की छूट का क्लेम कर सकते हैं. जबकि आम टैक्सपेयर्स के लिए इसकी सीमा महज दस हजार रुपये है.


क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन


स्टैंडर्ड डिडक्शन वह रकम है जो आपकी आय से सीधे काट कर अलग कर दी जाती है. इसके बाद इस पर इनकम टैक्स देनदारी की गणना होती है. 2005 के बजट से पहले तक इसका लाभ कर्मचारियों को मिलता रहा था लेकिन 2005 में इसे खत्म कर दिया गया. सरकार ने 2018 में इसे फिर से लागू कर दिया था.

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