Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान अपने 75 साल के इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) से जूझ रहा है. डॉलर की कमी को पूरा करने के लिए अब पाकिस्तान के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) यानी आईएमएफ (IMF) ही एक मात्र सहारा बचा है. ऐसे में आईएमएफ के 6 अरब डॉलर के बेल आउट पैकेज को प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार अब झूठ बोलने पर उतर आई है. हाल ही में शहबाज शरीफ सरकार ने यह दावा किया था कि उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लोन पाने के लिए रखी गई सभी शर्तों को पूरा कर लिया है.


IMF ने खोली पोल


समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने दावा किया है कि आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने लोन प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करने की बात कही थी. इसके साथ ही आईएमएफ लगातार पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है ताकि सभी शर्तों को जल्द से जल्द पूरा करके बेलआउट पैकेज की अगली किस्त को जारी किया जा सके. गौरतलब है कि 2019 में पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच 6 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज साइन हुआ था जिसमें से 1.1 अरब डॉलर नवंबर 2022 तक मिलने थे, मगर आईएमएफ की शर्तों पूरा न होने की वजह से अभी तक पाकिस्तान को यह पैसे नहीं मिल सके हैं. यह योजना पहले भी कई बार बेपटरी हो चुकी है.


सरकार बार-बार बोल रही है झूठ


ध्यान देने वाला बात ये है कि पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और वित्त मंत्री इशाक दार ने कई बार यह दावा किया है कि लोन बेल आउट की अगली 1.1 अरब डॉलर की अगली किस्त प्राप्त करने के लिए सरकार ने आईएमएफ की सभी शर्तों को पूरा कर दिया है और ऐसे में इस समझौते से पीछे हटने का कोई कारण नहीं है. पाकिस्तान को पहले ही शर्त न पूरी करने के की वजह से बेलआउट पैकेज मिलने में 6 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है. ऐसे में देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है. देश का फॉरेन रिजर्व गिरकर 4.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. पाकिस्तान को जून 2023 तक 4 बिलियन डॉलर लोन की किस्त अदा करने है. ऐसे में आईएमएफ से मदद न मिलने की स्थिति में पाकिस्तान के पास जरूरी चीजों के आयात के लिए पैसे भी नहीं बचेंगे.


देश में बढ़ रही महंगाई


इसके साथ ही पाकिस्तान में महंगाई भी जबरदस्त तेजी से बढ़ी है. पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स (Pakistan Bureau of Statistics) के आंकड़ों के मुताबिक देश साल 1965 के बाद से अब तक की सबसे ज्यादा महंगाई दर रिकॉर्ड की गई है. अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 36.4 फीसदी रहा है. वहीं मार्च में यह दर 35.4 फीसदी रहा है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक देश में महंगाई दर में हर महीने 2 फीसदी के हिसाब से बढ़ने की संभावना है. पाकिस्तान में महंगाई का आलम यह है कि इसमें श्रीलंका को भी इस मामले में पीछे छोड़ दिया है. अप्रैल में श्रीलंका में महंगा दर 35.3 फीसदी थी वहीं पाकिस्तान में यह दर 36.4 फीसदी है. ऐसे में एशिया में सबसे तेजी से महंगाई पाकिस्तान में बढ़ी है. 


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