AI Job Loss Fear: देश दुनिया में जब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (Artificial Intelligence) का इस्तेमाल जोर पकड़ता जा रहा है. कंपनियों का बड़ा फोकस एआई पर है. ऐसे में भारतीय मूल की जानी मानी अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( International Monetary Fund) की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ( Geeta Gopinath) ने आशंका जाहिर किया है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते आने वाले दिनों में लेबर मार्केट में कई प्रकार की समस्यायें खड़ी हो सकती है. उन्होंने पॉलिसीमेकर्स से इस टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द नियम बनाने की अपील की है.  


फाइनैंशियल टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक गीता गोपीनाथ ने कहा, हम चाहते हैं कि सरकारें, संस्थाएं और पॉलिसीमेकर्स रेग्यूलेशन बनाने के साथ लेबर मार्केट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते पैदा होने वाले व्यवधान से निपटने के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू कर दें. 


गीता गोपीनाथ ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से प्रभावित होने वाले कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकारों को सोशल सेफ्टी नेट्स ( Social Safety Nets) को बढ़ावा देना चाहिए. साथ ही ऐसी टैक्स पॉलिसी ( Tax Policy) तैयार करना चाहिए जिसके तहत वैसी कंपनियों को कतई प्रोत्साहन ना दें जो कर्मचारियों के बदले में मशीनों का इस्तेमाल करते हों. गीता गोपीनाथ ने पॉलिसीमेकर्स को इन कंपनियों से सतर्क रहने को कहा है जिन्हें नई टेक्नोलॉजी के मामले में चुनौती देना असंभव है. 


इससे पहले मार्च 2023 में गोल्डमन सैक्स (Goldman Sachs) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते 30 करोड़ फुलटाइम जॉब्स पर खतरा पैदा हो सकता है. बीते वर्ष पीडब्ल्युसी (PWC) ने अपने एनुअल ग्लोबल वर्कफोर्स सर्वे में कहा कि एक तिहाई लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि अगले तीन वर्षों में नई टेक्नोलॉजी उनकी जगह ले सकता है. 


टेक्नोलॉजी से जुड़ी कई कंपनियां रूटीन जॉब्स को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ बदलने पर विचार कर रही हैं. आईबीएम के सीईओ ने हाल ही में कहा था कि कंपनी 7800 पदों की नियुक्ति पर रोक लगा सकती है क्योंकि इनकी जगह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ले सकती है. उन्होंने कहा कि बैंक ऑफिस ऑपरेशन जैसे ह्यूमन रिसोर्सेज को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस रिप्लेस कर सकती है. 


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