Share Market Updates: सोमवार से शुरू हो रहा हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए काफी अहम रहने वाला है. इस हफ्ते घरेलू शेयर बाजार की दिशा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसले और WPI (थोक मूल्य सूचकांक) के आंकड़ों से तय होगी. आने वाले हफ्ते में अमेरिकी फेड रिजर्व की बैठक होने वाली है और एक्सपर्ट्स को 25 आधार अंक की कटौती की उम्मीद है. अब अगर इस बीच 50 आधार अंकों की कटौती की जाती है, तो इससे अमेरिकी बाजारों में तेजी आएगी, जिसका असर पूरी दुनिया के बाजारों पर देखने को मिलेगा.

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ऐसे में निवेशकों की नजर 17 सितंबर को होने वाली अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक पर टिकी हुई है. निवेशकों को इस बात की भी उम्मीद है कि अमेरिका-भारत व्यापार मोर्चे पर किसी भी अपडेट के साथ-साथ कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बाजार में पूंजी प्रवाह के रूझानों का भी असर पड़ेगा. 

विदेशी निवेशकों का निवेश जरूरी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि घरेलू मोर्चे पर थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति के आंकड़े भी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेंगे. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, "बाजार की गति को बनाए रखने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का निवेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा."

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विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) बीते पांच में से दो सेशन में खरीदारी की. शुक्रवार को विदेशी निवेशकों ने 129.58 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर खरीदे. इससे पता चलता है भारतीय शेयर बाजार के लिए उनकी धारणा फिर से मजबूत हो रही है.पिछले हफ्ते शेयर बाजार का माहौल उत्साहजनक रहा.

इस दौरान बीएसई सेंसेक्स 1,193.94 अंक या 1.47 परसेंट तक उछला, जबकि एनएसई निफ्टी ने 373 अंक या 1.50 परसेंट की बढ़त हासिल की. निफ्टी लगातार आठ सत्रों में बढ़त के साथ बंद हुआ और सेंसेक्स ने लगातार पांच दिनों तक बढ़त बनाए रखी.

भारतीय शेयर बाजार में तेजी की उम्मीद

एनरिच मनी के सीईओ पोनमुडी आर ने कहा, "वैश्विक धारणा मुख्य प्रेरक बनी हुई है, और अमेरिकी और एशियाई बाजारों में आशावाद को फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों से बल मिला है, जिससे जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ी है."

वहीं, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में धीरे-धीरे बढ़त जारी रहने की संभावना है. जीएसटी से प्रेरित उपभोग वृद्धि को लेकर आशावाद, फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को लेकर बेहतर माहौल से बाजार को समर्थन मिलने की उम्मीद है.

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