Inflation Bites: महंगाई है कि आम आदमी का पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही है. महंगे पेट्रोल डीजल या सीएनजी-पीएनजी हो या फिर रसोई गैस. खाने के तेल या हो दाल-चावल. गेंहू हो आटा. दूध हो या दही पनीर और घी.  एक परिवार के लिए जरुरी हर वस्तुओं के लिए हर घर को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. बजट में महंगाई से राहत की उम्मीद थी. वित्त मंत्री ने बजट से पहले कहा था कि उन्हें मध्यम वर्ग के दर्द का एहसास है. लेकिन इनकम टैक्स छूट की सीमा भी बढ़ाई तो नए टैक्स रिजिम में, जो कि 95 फीसदी टैक्सपेयर्स ने अपनाया भी नहीं है और जो छूट दिया गया उसमें भी शर्तें जोड़ दी. ऐसे में सवाल उठता है कि आम आदमी करे तो क्या. क्योंकि आमदनी अठन्नी है तो खर्चा रुपईया.  


गाड़ी चलाने से लेकर खाना पकाना भी महंगा


2022 में रूस पर यूक्रेन पर हमले के बाद से कमोडिटी के दामों में तेजी उछाल देखने को मिली. कच्चे तेल से लेकर गैस के दामों में आग लग गई. सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल और रसोई गैस महंगा कर दिया तो सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने सीएनजी-पीएनजी के दाम बढ़ा दिए. गाड़ी में ईंधन डलवाने से लेकर खाना पकाना लोगों के महंगा हो गया. कई शहरों में अभी भी पेट्रोल 100 रुपये लीटर में मिल रहा है तो रसोई गैस का एक सिलेंडर 1100 रुपये में. 


40 फीसदी महंगा आटा


रूस-यूक्रेन युद्ध और देश में गेहूं के उत्पादन में गिरावट के चलते गेहूं के दामों में तेज उछाल देखने को मिली है. बीते एक साल में गेहूं और आटा के दामों पर नजर डालें तो एक अप्रैल 2022 को गेंहू का औसत मुल्य 22 रुपये किलो था जो 28 रुपये प्रति किलो के ऊपर जा पहुंचा है. आटा का औसत मुल्य एक अप्रैल 2022 को 25 से 30 रुपये किलो हुआ करता था वो 35 से 40 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंचा है. 10 महीने में आटा 40 फीसदी तक महंगा हुआ है. गेहूं आटा के महंगे होने के चलते थाली की रोटी से लेकर बिस्कुट, ब्रेड महंगी हुई है. 


खाने का तेल अब तक सस्ता नहीं!


युद्ध के बाद खाने का तेल 200 रुपये प्रति लीटर तक जा पहुंचा था. हालांकि दुनियभर में पाम ऑयल के दाम घटे लेकिन घरेलू एडिबल ऑयल कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में गिरावट के बावजूद घरेलू मार्केट में खाने के तेल के दाम नहीं घटाये और अभी भी सरसों का तेल 170 रुपये लीटर के करीब मिल रहा है.  


दूध-दही पर भी महंगाई की मार


2022 में के दामों में छप्परफाड़ बढ़ोतरी देखने को मिली तो 2023 में भी जारी है. अमूल हो या मदर डेयरी या फिर दूसरी डेयरी कंपनियां सभी ने दूध के दामों में लगातार बढ़ोतरी की है. डेयरी कंपनियों ने दूध के दाम बढ़ाकर महंगाई से परेशान लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी. 2022 से लेकर अब तक 20 फीसदी दूध के दाम बढ़े हैं. अगर एक परिवार 2022 की शुरुआत में दो लीटर दूध पर 110 रुपये प्रति दिन के हिसाब से 3300 रुपये खर्च कर रहा था उसे अब 132 रुपये प्रति दिन के हिसाब से 3960 रुपये खर्च करना पड़ा रहा है. यानि हर महीने 660 रुपये ज्यादा. महंगे दूध के चलते घी, पनीर, मख्खन, खोआ से लेकर दही लस्सी महंगे हो चुके हैं. मिठाईयां बिस्कुट भी महंगी हुई है. और महंगे दूध का सिलसिला आगे भी जारी रहने वाला है.  


महंगी ईएमआई ने जेब पर डाला डाका!


और इन सब चीजों के महंगाई के चलते देश में खुदरा महंगाई दर बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ. अप्रैल 2022 में महंगाई दर 7.80 फीसदी पर जा पहुंचा था. इसके बाद मई 2022 से आरबीआई ने महंगाई दर को अपने टोलरेंस बैंड के भीतर लाने के लिए पॉलिसी रेट्स बढ़ाना शुरू किया. 8 महीने में ही 2.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ा दिए. नतीजा जब जब रेपो रेट बढ़ा बैंकों ने उसका भार लोन ले चुके कस्टमर्स के ऊपर डाल दिया. होम लोन की ईएमआई महंगी हो गई. ये दीगर बात है कि इन बैंकों ने जिनका कर्ज पर ब्याज दर बढ़ाया उसका बैंकों में रखे जाने वाले पैसे पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाई. 


महंगी ईएमआई का असर का पता इस लगा सकते हैं कि अगर किसी ने सस्ते होम लोन के दौर में 30 लाख का होम लोन 7 फीसदी पर 20 सालों के लिया था तो उसे मई 2022 से पहले 23,259 रुपये ईएमआई देना पड़ रहा था. लेकिन अब 9.50 फीसदी के दर के हिसाब से 27976 रुपये ईएमआई देना होगा. यानि हर महीने 4705 रुपये ज्यादा और एक साल का भार 56,460 रुपये. इतना तो वित्त मंत्री नए टैक्स रिजिम में भी टैक्स में रिआयत नहीं दी है. नतीजा जिन लोगों ने होम लोन लिया हुआ था कि उनके घर का बजट बिगड़ चुका है. ऐसे में मध्यम वर्ग बचत तोड़कर अपना घर चलाने को मजबूर है.  


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