राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ एलान के बाद चीन की तरफ से उसका कड़ा जवाब दिया जा रहा है. चीन ने जवाबी कदम उठाते हुए सभी अमेरिकी आयातित सामानों पर 34 प्रतिशत का भारी भरकम टैक्स लगाने का एलान कर दिया. चीन की तरफ से ऐसा कदम जाहिर करता है कि चीन के निर्यात पर लगाए गए भारी भरकम टैरिफ और उसके बाद अमेरिकी उत्पाद पर जवाब शुल्क ने भविष्य में बातचीत के लिए एक मौका छोड़ा है. 

हालांकि, अमेरिका की तरफ से चीन के सामानों पर फरवरी और मार्च के महीने में ही 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने का पहले ही एलान किया जा चुका था. ऐसे में चीन की तरफ से जवाबी कदम के तौर पर दुर्लभ पृथ्वी खनिज से लेकर महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्यात पर नियंत्रण करने से लेकर विश्व व्यापार संगठन में कानूनी याचिका दायर करना शामिल है. बीजिंग ने कई अमेरिकन कंपनियों के साथ आयात को जहां एक तरफ रोक दिया तो वहीं दो दर्जन से ज्यादा कंपनियों को व्यापार रोक की सूची में डाल दिया है.

आइये विस्तार से जानते हैं कि कब और किस तरह से अमेरिका और चीन एक दूसरे के आमने-सामने आ गए:

मार्च 2017

अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने पहली बार व्यापार घाटा कम करने का फैसला किया था. उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किए, जिसमें एंटी डंपिंग के मामले में कड़े टैरिफ का प्रावधान था.

अप्रैल 2017

बीजिंग दौरे के वक्त ट्रंप और राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए कि अमेरिका का चीन से व्यापारिक घाटा कम करने के कदम उठाया जाएगा. इस दौरान व्यापारिक वार्ता के लिए 100 दिनों का प्लान पर आपसी सहमति बनी. लेकिन ये वार्ता जुलाई में विफल हो गई.  

अगस्त 2017

 राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन द्वारा कथित अमेरिकी बौद्धिक संपदा की चोरी के मामले की जांच के आदेश दे दिए. ऐसा अनुमान लगाया गया कि एक साल में करीब 600 बिलियन डॉलर की चोरी हुई. 

जनवरी 2018

अमेरिका ने आयातित सौलर पैनर पर करीब 30 फीसदी का भारी भरकम टैरिफ लगा दिया. अधिकतर ये चीन से ही निर्यात किए जाते थे.

अप्रैल 2018

बीजिंग ने जवाब कदम उठाते हुए अमेरिका के आयातित सामान जैसे फल- सुपारी, शराब, स्टील पाइप पर 15 प्रतिशत सीमा शुल्क, सुअर के मांस, रिसाइल एल्युमिनियम और छह अन्य तरह के सामानों पर 25 प्रतिशत टैक्स लगा दिया.

इसके एक दिन बाद ही अमेरिका ने जवाब कदम उठाते हुए चीन से आयात होने वाले करीब 50 बिलियन डॉलर के सामान जैसे- एयरोस्पेस, मशीनरी और चिकित्सा उद्योग पर 25 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया. इसके बाद चीन ने जवाब कदम उठाते हुए एयरक्राफ्ट, ऑटोमोबाइल्स, सोयाबीन, कैमिकल और अन्य अमेरिका से आयातित करीब 50 बिलियन डॉलर के सामानों पर 25 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगा दिया.

जून-अगस्त 2018

दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ टैरिफ लगाए, जिसमें करीब 250 बिलियन डॉलर के चीनी सामान और करीब 110 बिलियन डॉलर के चीन आयात किए जाने वाले अमेरिका प्रोडक्ट्स पर असर पड़ा. 

दिसंबर 2018 से मई 2019

वाशिंगटन और बीजिंग के बीच दिसंबर 2018 में नऐ टैरिफ पर रोकने और व्यापारिक वार्ता पर सहमति नहीं बन पाई. वार्ता विफल होने के बाद ट्रंप ने चीन के करीब 200 बिलियन डॉलर के सामानों पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया.

मई 2019 

वाशिंगटन ने अमेरिकी कंपनियों की ओर से चीनी टेक्नॉलोजी कंपनी हुवेई से खरीदे जाने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया.    

जून 2019

ट्रंप और शी जिनपिंग एक फोन कॉल के बाद दोबारा व्यापारिक वार्ता पर सहमत हुए, लेकिन अगले पांच महीने में इसमें कई पेचिदगिंयां सामने आ गईं.

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