Housing Sale in India: देश में घरों की बिक्री के लिए साल 2023 शानदार रहा. कीमतों में उछाल और होम लोन पर ब्याज दरें कम न होने के बावजूद खरीदारों का हौसला नहीं कम हुआ. एक साल में देश के 7 प्रमुख शहरों में इस दौरान 4.77 लाख मकान बेचे गए. यह पिछले साल के मुकाबले लगभग 31 फीसदी ज्यादा है. 


मकानों की बिक्री ने तोड़ दिया रिकॉर्ड


एनरॉक की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में घरों की बिक्री 4,76,530 युनिट रही. इस साल हुई मकानों की बिक्री ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अब तक किसी भी साल इतने ज्यादा मकान नहीं बिके थे. रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 3,64,870 मकान बेचे गए थे.


मुंबई में हुई सबसे ज्यादा बिक्री 


आंकड़ों के अनुसार, टॉप-7 शहरों में सबसे ज्यादा बिक्री मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में हुई. इसके बाद पुणे का नंबर आया है. एमएमआर में प्रॉपर्टी की बिक्री 40 फीसदी बढ़कर 1,53,870 युनिट रही. पिछले साल घरों की बिक्री 1,09,730 युनिट रही थी. पुणे में घरों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है. यह 52 फीसदी बढ़कर 86,680 युनिट पर पहुंच गया है. पिछले साल यही आंकड़ा 57,145 युनिट रहा था. हालांकि, साल 2023 में दिल्ली एनसीआर में बिक्री सिर्फ 3 फीसदी बढ़कर 65,625 युनिट रही. पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में 63,710 मकान बिके थे.


टॉप-7 शहरों में कीमतें 24 फीसदी तक बढ़ीं  


बेंगलुरु में घरों की बिक्री पिछले साल की 49,480 युनिट की तुलना में 29 फीसदी बढ़कर 63,980 युनिट पर पहुंच गई. कोलकाता में मकानों की बिक्री नौ फीसदी बढ़कर 23,030 युनिट हो गई. पिछले साल 21,220 मकान बिके थे. चेन्नई में बिक्री पिछले साल के 16,100 युनिट से 34 फीसदी बढ़कर 21,630 युनिट हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल कच्चे माल की लागत में वृद्धि हुई. हालांकि, डिमांड बनी रहने की वजह से टॉप-7 शहरों घरों के रेट 10 से 24 फीसदी तक बढ़ गए.


रेट बढ़ने के चलते बिक्री घटने की जताई गई थी आशंका 


एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि तमाम समस्याओं के बावजूद घरों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री हुई है. साल की पहली छमाही में ब्याज दरें बढ़ीं. इसके अलावा ग्लोबल सुस्ती का असर पड़ने की आशंका भी थी. प्रॉपर्टी की कीमतों में आए उछाल के चलते ऐसा लग रहा था कि बिक्री घट सकती है. मगर, घरों की डिमांड ने हाउसिंग सेक्टर को मजबूती दी और बिक्री के रिकॉर्ड टूट गए. 


ये भी पढ़ें 


Year Ender 2023: साल 2023 में टाटा ग्रुप ने भर दीं निवेशकों की झोलियां, रिलायंस और अडानी रह गए फिसड्डी