नई दिल्लीः सरकार को भरोसा है कि जल्द ही पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे. हालांकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कमी करने की संभावनाओं से इनकार कर दिया है.


पेट्रोल और डीजल में बीते कुछ समय से आग लगी हुई है. पहली जुलाई से लेकर 13 सितम्बर के बीच दिल्ली मे एक लीटर पेट्रोल के भाव 63 रुपये नौ पैसे से 70 रुपये 38 पैसे पर पहुंच गए, यानी 7 रुपये 29 पैसे की बढ़ोतरी, वहीं मुंबई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 74 रुपये 30 पैसे से 79 रुपये 48 पैसे पर पहुंची, यानी पांच रुपये 18 पैसे का इजाफा. ध्यान रहे कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल के भाव में होने वाले बदलाव के आधार पर हर रोज कीमत में बदलाव होता है और नई कीमत हर रोज छह बजे से प्रभावी मानी जाती है.


कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर हो रही आलोचनाओं के मद्देनजर तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तीन सरकारी तेल कंपनियों, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. बाद में प्रधान ने कहा कि अगस्त के महीने में अमेरिका में दो भयानक तूफान आय़ा. इससे कच्चे तेल के भाव तो बढ़े ही, वहीं विश्व व्यापी स्तर पर रिफाइनरी क्षमता में 13 फीसदी की कमी आयी. इन सब कारणों से तीन महीनों के दौरान पेट्रोल के अंतरराष्ट्रीय भाव में 18 फीसदी और डीजल के अंतरराष्ट्रीय भाव में 20 फीसदी का इजाफा हुआ. इसके चलते भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली.


हालांकि प्रधान का कहना है कि कीमतें अब स्थिर हो रही है, मसलन बुधवार को देश में पेट्रोल और डीजल के भाव स्थिर रहे. अब उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे इसमें कमी आएगी, क्योंकि वैश्विक तनाव तो घटा ही है, साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की भी फिलहाल आशंका नहीं. लेकिन जब प्रधान से पूछा गया कि सरकार क्यों नहीं टैक्स में कमी करती है तो इस पर उनका जवाब था कि सामाजिक देनदारियों को पूरा करने के लिए टैक्स से आमदनी जरुरी है. मतलब साफ है कि टैक्स में कमी के आसार नहीं.


पेट्रोल-डीजल पर टैक्स


तेल कंपनियों का कहना है कि 19 अक्टूबर 2014 को जब पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को दे दिया गया तो उस समय दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत में केंद्र और राज्य सरकार की करों की कुल हिस्सेदारी 31 फीसदी थी जबकि अब ये 52 फीसदी पर पहुंच गयी है. इसी तरह डीजल की खुदरा कीमत में केंद्र और राज्य सरकार की कर की कुल हिस्सेदारी 19 अक्टूबर को 18 फीसदी थी जो अब 45 फीसदी पर पहुंच गयी है.


दोनों ही उत्पादों पर केंद्र औऱ राज्य सरकारों ने खासा ज्यादा कर लगा रखा है. यही नहीं मोदी सरकार के सत्ता में आने के कुछ समय बाद जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के साथ-साथ पेट्रोल-डीजल के भाव कम हुए तो केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कई बार बढ़ा दिए. केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर तय दर के हिसाब से एक्साइज डयूटी लगाती है जबकि राज्य सरकार फीसदी के हिसाब से. इसे यूं समझ लीजिए, केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 21 रुपये 48 पैसे के हिसाब से एक्साइज ड्यूटी वसूलती है जबकि राज्य सरकार मसलन दिल्ली 27.5 फीसदी की हिसाब से वैट लगाती है.


प्रधान ने राज्यों पर आरोप लगाया कि वो लगातार वैट बढ़ाती रही है. मसलन, केरल ने बीते समय मे वैट 26 फीसदी से बढ़ाकर 34, महाराष्ट्र ने 27 से 40 और दिल्ली ने 20 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी कर दिया. तेल मंत्री की राय में यदि पेट्रोल-डीजल को वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे मं लाया जाता है तो उससे इन पर टैक्स को लेकर स्थिरता आएगी और इसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा.