नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद लगभग 95 फीसदी पुराने नोटों के बैंकों में जमा होने के बाद भी सरकार को मिलने वाली राशि उसके अनुमान से कम ही है. सरकार को रिजर्व बैंक से एक्सट्रा सरप्लस ट्रांसफर के जरिये ज्यादा से ज्यादा 50,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं जो इसके पहले के अनुमान से कहीं कम है. इसका मतलब लगाया जा रहा है कि सरकार को नोटबंदी के जरिए कालाधन आने की जो उम्मीद थी उसके पूरी तरह सफल होने की संभावना कम है. ब्रोकरेज कंपनी बैंक आफ अमेरिका-मेरिल लिंच ने आज एक रिपोर्ट में यह कहा.


रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘नोटबंदी अभियान से 2017 का बजट 1500 अरब रुपये ही बढ़ सकता है जो पहले के 2000 अरब रुपये के अनुमान से काफी कम है.’’ बीओएफएमएल ने पहले रिजर्व बैंक से सरकार को कालेधन के डिविडेंड के रूप में 950 अरब रुपये का अनुमान लगाया था अब उसका आधा यानी 500 अरब रुपये तक ही रहने का अनुमान है. बैंकों के पास 19 दिसंबर तक 14,000 अरब रुपये से अधिक आये जबकि नोटबंदी के बाद बैन हो चुके नोटों की कीमत 15,550 अरब डालर अनुमानित है.


सरकार ने हाल में अध्यादेश लाकर रिजर्व बैंक को बैंकों के पास नहीं आये पुराने 500 और 1,000 रुपये के नोटों के संदर्भ में देनदारी रद्द करने की मंजूरी दी है. इससे सरकार को डिविडेंड मिलना तय होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘अध्यादेश से चालू वित्त वर्ष में विशेष डिविडेंड का रास्ता बना है.’’ इसके अलावा आय घोषणा योजना से 1000 अरब रुपये तक आने का अनुमान है. रिजर्व बैंक के ‘विशेष डिविडेंड’ का इस्तेमाल सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिये किया जा सकता है.