Wheat Stock Update: चुनावी साल है लेकिन इस सब के बीच गेहूं के घटते सरकारी स्टॉक ने चिंता बढ़ा दी है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया एफसीआई के डाटा के मुताबिक  गेहूं का ओपनिंग स्टॉक 6 साल के निचले स्तर पर आ गया है. एक अप्रैल 2023 को एफसीआई के गोदामों में गेहूं का ओपनिंग स्टॉक घटकर  83.45 लाख मीट्रिक टन रह गया है. जबकि ठीक एक साल पहले एक अप्रैल 2022 को देशभर के गोदामों में गेहूं का ओपनिंग स्टॉक 189.9 लाख मीट्रिक टन था.  


गेहूं का स्टॉक 57 फीसदी कम!


एफसीआई के डाटा से साफ है कि गेहूं का ओपनिंग स्टॉक 2022 बीते साल के मुकाबले इस वर्ष 57 फीसदी से कम है. 2021 में एक अप्रैल 2021 को गेहूं का स्टॉक 273 मीट्रिक लाख टन था तो 2020 में 247 लाख टन था. 10 वर्ष में ये दूसरा मौका है जब गेहूं का ओपनिंग स्टॉक 85 लाख मीट्रिक टन से कम रहा है. इससे पहले 2017 में ये हालात देखने को मिला था.  बीते वर्ष 2021-22 सीजन में सरकार ने 444 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था. हालांकि बीते साल तापमान में बढ़ोतरी के चलते गेहूं के फसल पर असर पड़ा और सरकार केवल 187.92 लाख मीट्रिक टन की गेहूं खरीद पाई थी जो कि 15 सालों में सबसे कम सरकारी खरीद थी. 


341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का सरकारी लक्ष्य 


इस वर्ष भी फरवरी में तापमान में बढ़ोतरी और मार्च में बेमैसम बारिश के चलते गेहूं के फसल के खराब होने की आशंका जताई जा रही थी हालांकि बारिश से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. सरकार ने इस रबी सीजन में 341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा का लक्ष्य रखा है. सरकार का अनुमान है कि मौजूदा रबी सीजन में 112.18 मिलिटन गेहूं का उत्पादन हो सकता है.  देशभर में गेहूं की सरकारी खरीद जारी है. हालांकि ये भी माना जा रहा कि सरकार अपने लक्ष्य के मुताबिक खरीद नहीं कर पाती है तो इससे सरकार के लिए गेहूं के दामों पर नकेल कसने की कवायद को झटका लग सकता है. सरकार के सामने दिक्कत ये भी है कि गेहूं के एमएसपी से ज्यादा खुले बाजार में किसानों को गेहूं के दाम मिल रहे हैं.  


महंगे गेहूं-आटे की मार


बीते वर्ष रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही गेहूं की कीमतों में बड़ा उछाल आया है. एक तो प्रोडक्शन में कमी उसपर से युद्ध के चलते कीमतें बढ़ गई. महंगे गेहूं के चलते आटा भी महंगा हो गया है. जिसके बाद सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दिया था. इस वर्ष फरवरी मार्च के दौरान सरकार ने ओपेन मार्केट सेल स्कीम के तहत 50 लाख टन गेहूं बेचा है. जिसके बाद कीमतों में थोड़ी नरमी आई है.  लेकिन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक अभी भी गेहूं का औसत मुल्य 29.08 रुपये प्रति किलो है जो एक फरवरी 2023 को 33.34 रुपये प्रति किलो हुआ करता था. 12 अप्रैल को आटा 34.33 रुपये किलो में मिल रहा है जो एक फरवरी को 38.05 रुपये प्रति किलो के भाव में मिल रहा था. हालांकि इसके बावजूद एक साल में आटा 35 से 40 फीसदी तक महंगा हुआ है. 


गेहूं आटे की कीमतें नीचे लाने की कवायद 


बहरहाल एक वर्ष के बाद लोकसभा चुनाव है ऐसे में सरकार की कोशिश होगी हर हाल में ज्यादा गेहूं खरीदने की जिससे बाजार में गेहूं आटे की कीमतों में कमी लाई जा सके. और इस वर्ष प्रोडक्शन को लेकर स्पष्टता नहीं है ऐसे में सरकार गेहूं के निर्यात की फिर से इजाजत भी नहीं देने वाली है.  


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