Nirmala Sitharaman MSME Conference 2022: केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) कई योजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को हर तरह की मदद करती है. वही कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद अब बाजार ने जैसे-तैसे सही रफ़्तार पकड़ ली है. लेकिन एमएसएमई के बकाए का भुगतान काफी समय से रुका हुआ चल रहा है. इसे लेकर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सम्मेलन में कुछ ऐलान किये है.


45 दिन में हो भुगतान
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने महाराष्‍ट्र में एमएसएमई सम्मेलन (MSME Conference) में कहा है कि केंद्र सरकार चाहती है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) के बकाए का भुगतान तेजी से हो. केंद्र सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं और निजी क्षेत्र को भी एमएसएमई के बकाए का भुगतान 45 दिन में करने का आदेश दिया है.


इकोनॉमी में देश रहा नंबर वन 
वित्त मंत्री सीतारमण ने महाराष्‍ट्र में MSME सम्मेलन में कहा कि इस क्षेत्र की छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार काम कर रही है. देश की इकोनॉमी सही दिशा में आगे बढ़ रही है. देश इस साल भी नंबर वन है और अगले साल भी पहले स्‍थान पर रहेगा.


MSME पर है पूरा फोकस 
MSME उद्यमों ने विश्व के कई विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को सुदृ़ढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करने में एमएसएमई बड़ा योगदान दे रहा है. उन्होंने कहा कि खासकर, रोजगार उपलब्‍ध कराने में. इसीलिए सरकार एमएसएमई पर पूरा फोकस कर रही है. सरकार जानती है कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को स्‍थानीय स्‍तर पर सशक्त बनाए बगैर आत्‍मनिर्भर भारत अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता है.
 
पीएम की हुई सराहना 
वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुंबई में ‘मोदी ऐट 20’ पुस्तक के लोकार्पण के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में भी भाग लिया. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकारी 2014 से पहले बहुत सी सरकारें आईं और उन्होंने कई वादे किये लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने घर-घर तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने पर बल दिया है. ‘मोदी ऐट-20’ किताब में बीते 20 सालों के दौरान मोदी के शासन के विशिष्ट मॉडल के कारण भारत और गुजरात में आए मूलभूत बदलावों के बारे में प्रख्यात बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों द्वारा लिखे गए लेखों को संकलित किया है. पुस्तक में सुधा मूर्ति, डॉ. देवी शेट्टी, सद्गुरु, नंदन नीलेकणि और अमिश त्रिपाठी जैसे कई विशिष्ट लोगों के लेख हैं.


हिंदी बोलने में होती है परेशानी 
निर्मला सीतारमण ने हिंदी विवेक पत्रिका द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया है. केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में खुलासा किया है कि हिंदी बोलने से उनकी कंपकंपी छूट जाती है और वह झिझक के साथ हिन्‍दी बोलती हैं. मंत्री सीतारमण ने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ीं तथा हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध उन्‍होंने देखा है. वयस्क होने के बाद एक व्यक्ति के लिए एक नई भाषा सीखना मुश्किल है, लेकिन वह अपने पति की मातृभाषा तेलुगु सीख सकीं, लेकिन पिछली घटनाओं के कारण हिंदी नहीं सीख पाईं है.


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