नई दिल्लीः केंद्र की सरकार नकद लेनदेन को कम करने के लिए और कड़े कदम उठा सकती है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार पैन कार्ड के माध्यम से कैश लेन देन की सीमा में कटौती कर सकती है.  इसके तहत 50 हजार रुपये से ज्यादा नकद लेनदेन पर पैन सीमा कम करके 30 हजार रुपये तक की जा सकती है. माना जा रहा है कि सरकार आगामी बजट में इसका ऐलान करने वाली है और अगर ऐसा हुआ तो इसके जरिए देश में कैश लेनदेन पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा. मौजूदा समय में 50,000 रुपए से ऊपर के कैश लेनदेन पर पैन कार्ड देना अनिवार्य होता है जिसे सरकार घटाकर 30,000 रुपये कर सकती है.


'इकोनॉमिक टाइम्स' के हवाले से आ रही इस खबर के मुताबिक इसके अलावा सरकार एक तयशुदा लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर कैश हैंडलिंग चार्जेस भी लगा सकती है. नोटबंदी और कैश निकालने पर पाबंदी के साथ कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार पैन की सीमा कम कर सकती है. वहीं सूत्रों के अनुसार, अब व्यापारियों को भी कम नकदी लेन देन पर भी पैन कार्ड देना पड़ सकता है.


सूत्रों का कहना है व्यापारियों के लिए भी पैन कार्ड के विवरण की अनिवार्यता के तहत लेनदेन सीमा को भी कम किया जा सकता है. दरअसल, अब बैंकों और एटीएम से कैश निकालने की सीमा बढ़ने के बाद कैश संकट खत्म होने से देश में नोटबंदी से पहले का लेनदेन का तरीका ही चलन में ना आ जाए, इस चिंता को दूर करने की कोशिश की जा रही है.


सरकार का मानना है कि डिजिटल पेमेंट को एप और पीओएस मशीनों के जरिए ही प्रमोट करना काफी नहीं है क्योंकि कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति खराब है. वहीं देश में काफी जगहों पर अभी भी डिजिटल साक्षरता की कमी है. इसलिए सरकार को कैशलेस ट्रांजेक्शन बढ़ाने और कैश ट्रांजेक्शन घटाने के लिए इस तरह के उपाय करने ही पड़ेंगे. सूत्रों के मुताबिक, कारोबारी लेन देन के लिए भी पैन कार्ड डीटेल्स देने का मापदंड बदला जा सकता है और अब कम नकदी लेन देन पर ही पैन कार्ड देने पड़ सकते हैं.