Railway Concession: संसद के हर सत्र में सांसदों की ओर से सीनियर सिटीजंस को रेल सफर करने पर किराये में छूट देने की मांग की जाती है. और संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ है. लोकसभा में फिर से सरकार से वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा पर छूट देने की मांग की गई. सरकार ने बताया कि अलग अलग लोगों द्वारा डिविजन लेवल, जोनल रेलवे, रेल मंत्रालय और यहां तक कि स्टेशनों और दूसरे जगहों पर भी रेल यात्रा में कंसेशन देने की मांग को लेकर रेलवे को ज्ञापन, अनुरोध पत्र और सुझाव सौंपा गया है. 


लोकसभा के सदस्य एंटो एंटोनी ने रेल मंत्री से सवाल किया था कि क्या सरकार की अलग अलग कैटगरी के लोगों को कोरोना पूर्व रेल यात्रा पर दी जारी कंसेशन को फिर से बहाल करने की कोई योजना है? उन्होंने पूछा इस दिशा में सरकार ने क्या कदम उठाये हैं और क्या रेल यात्रा पर छूट बहाल करने के लिए क्या सरकार से अनुरोध किया गया है? इस प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए रेल, आईटी, टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा भारतीय रेल हमेशा से समाज के हर वर्ग से आने वाले लोगों को सस्ती सर्विसेज मुहैया कराता रहा है. उन्होंने बताया कि 2019-20 में रेलवे ने पैसेंजर टिकट पर 59,837 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है. जो कि हर रेल यात्री को औसतन 53 फीसदी कंसेशन देने के बराबर है. 


रेल मंत्री ने कहा, सभी रेल यात्रियों को रेल यात्रा करने पर सब्सिडी दी जा रही है. इसके अलावा अलग से 4 प्रकार के कैटगरी के लोगों जिसमें दिव्यांगजन, 11 प्रकार के मरीजों और 8 कैटगरी के छात्रों को रेल यात्रा करने पर छूट दी जा रही है. उन्होंने बताया कि 2022-23 में 18 लाख मरीजों और उन्हें एस्कोर्ट करने वाले यात्रियों ने छूट का लाभ उठाया है. 


इस वर्ष आरटीआई के जरिए ये जानकारी सामने आई थी कि बुजुर्ग नागरिकों को रेल किराये पर मिलने वाले छूट को खत्म करने के चलते भारतीय रेल को 2022-23 वित्त वर्ष में 2242 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई हुई थी.  रेलवे ने बताया कि एक अप्रैल 2022 से लेकर 31 मार्च 2023 के बीच रेलवे ने करीब 8 करोड़ सीनियर सिटीजंस को रेल किराये पर कोई छूट नहीं दी इन रेल यात्रियों में 4.6 करोड़ पुरुष और 3.3 करोड़ महिलाएं शामिल थीं. कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद 20 मार्च 2020 को सीनियर सीटिजंस के लिए रेल यात्रा पर छूट को मोदी सरकार ने खत्म कर दिया था. 


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