GDP Data: वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही अक्टूबर से दिसंबर के दौरान आर्थिक विकास दर (Economic Growth Rate) 4.6 फीसदी रहने का अनुमान है. भारतीय स्टेट बैंक ( State Bank Of India) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का जीडीपी 7 फीसदी रह सकता है जो पहले 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था. 


एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताया है. उनका मानना है कि ऐसे 30 हाई फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स हैं जो पिछली तिमाहियों के समान सशक्त नहीं है.  हालांकि इसके बावजूद एसबीआई का अनुमान आरबीआई के 4.4 फीसदी के अनुमान से ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक जीडीपी के कम अनुमान के लिए है खराब कॉरपोरेट नतीजें भी जिम्मेदार है. आंकड़ों के मुताबिक कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट केवल 9 फीसदी के दर से बढ़ा है जो बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही में 18 फीसदी के दर से बढ़ा था.  एसबीआई के रिपोर्ट के मुताबिक सेल्स में 15 फीसदी के उछाल के बावजूद, मुनाफा 16 फीसदी घटा है. 


सौम्या कांति घोष ने कहा कि पूरे वित्त वर्ष के जीडीपी 6.8 फीसदी के पहले के अनुमान से ज्यादा 7 फीसदी रह सकता है. उन्होंने कहा ये उम्मीद है कि सरकार वित्त वर्ष 2019-20, वित्त वर्ष 2020-21, और 2021-22 के जीडीपी के आंकड़ों की समीक्षा कर सकती है. साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष के पहले और दूसरे तिमाही के जीडीपी आंकड़ों की भी समीक्षा होगी जिसके चलते जीडीपी का आंकड़ा मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़ सकता है. 


इससे पहले इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2023-24 में भारत का जीडीपी केवल 5.9 फीसदी रह सकता है जो सभी अनुमानों के मुकाबले बेहद कम है.  हालांकि इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बढ़ाये गए बजट से लेकर कॉरपोरेट्स के कर्ज में कमी, एनपीए में गिरावट से लेकर पीएलआई स्कीम और कमोडिटी के दामों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है. हालांकि ये 2023-24 में जीडीपी को 6 फीसदी के पार ले जाने के लिए काफी नहीं है.  


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