Foreign Portfolio Investors: भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश का वैल्यू अप्रैल - जून तिमाही के खत्म होने पर 626 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है जो अप्रैल-जून 2022 तिमाही के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है. मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के भारी निवेश के चलते शेयर बाजार में शानदार तेजी देखने को मिली है जिसमें एफपीआई के निवेश में जोरदार उछाल प्रमुख कारणों में शामिल है. 


मॉर्निंगस्टार के रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय इक्विटी में एफपीआई निवेश जो जून 2022 में 523 बिलियन डॉलर था वो जून 2023 तक बढ़कर 626 बिलियन डॉलर हो गया. तिमाही दर तिमाही एफपीआई के निवेश के ग्रोथ को देखें तो जनवरी से मार्च 2023 तिमाही के खत्म होने पर एफपीआई के निवेश का वैल्यू 542 बिलियन  डॉलर हुआ करता था. यानि तिमाही आधार पर मार्च 2023 तिमाही के बाद से भारतीय इक्विटी में निवेश के वैल्यू में 15 फीसदी का उछाल देखने को मिला है.  


इसके चलते भारतीय शेयर बाजार के मार्केट कैपिटलाईजेशन में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का योगदान जहां मार्च तिमाही के खत्म होने पर 17.27 फीसदी था वो जून तिमाही के खत्म होने पर बढ़कर 17.33 फीसदी हो गया है. जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से बिकवाली कर 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश निकाल लिया था. लेकिन अप्रैल 2023 के बाद एफपीआई ने यूटर्न लिया और जून के आखिर तक 12.5 बिलियन डॉलर का निवेश कर डाला. 


रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी निवेश के बढ़ने की वजहों को देखें तो उसमें अमेरिका से आ रहे ब्याज दरों के संकेतों, घटते महंगाई दर, चीन की चिंताएं ओर घरेलू इकोनॉमिक इंडीकेटर्स प्रमुख कारण है. अप्रैल से जून तिमाही के दौरान भारतीय बाजार के प्रति विदेशी निवेशकों को रूख सकारात्मक बना रहा. तेजी की अन्य प्रमुख वजहों में अमेरिका यूरोपीय बैंकिंग क्राइसिस का खत्म होना से लेकर फेड रिजर्न के ब्याज दरें बढ़ाने की गति का धीमा पड़ना भी भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई के निवेश के बढ़ने का कारण है.    


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