आप यदि एंप्लॉई पेंशन फंड (ईपीएफ) से जुड़े हैं तो यह आपके काम की खबर है. ईपीएफ को इंप्लॉयर पेंशन स्कीम (ईपीएस) भी कहा जाता है. इसका संचालन सरकारी पेंशन फंड संस्था ईपीएफओ द्वारा किया जाता है. फॉर्मल सेक्टर या संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को इस फंड से ही पेंशन दी जाती है. 

ईपीएफ में कर्मचारी और उसकी कंपनी दोनों ही कुछ योगदान देते हैं. कर्मचारी की सैलरी का कुछ हिस्सा पेंशन फंड में जाता है जिससे उसे रिटायर होने पर पेंशन के रूप में एक निश्चित रकम मिलती है. यह कार्य यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएन) के माध्यम से होता है औ इसी क्रम में फॉर्म 10C का जिक्र आता है.

ऐसी स्थिति होती है फॉर्म 10C की जरूरतदरअसल, कोई कर्मचारी जब किसी कंपनी से रिटायर होता है तो पास दो ऑप्शन उसके पास रहते हैं. यदि वह दूसरी कंपनी जॉइंन करता है तो पीएफ के पैसे को उस में कैरी फॉरवर्ड कर सकता है. दूसरे ऑप्शन के रूप में वह चाहे तो अपने पैसे को पीएफ से निकाल सकता है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी यदि पीएफ का पैसा निकालना चाहता है, तो उसको फॉर्म 10C भरने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए उसे यूएएन नंबर की भी आवश्यकता होती है.

कर्मचारी के ईपीएफ सर्टिफिकेट में उसके सर्विस की समायवधि और परिजनों की डिटेल होती है. किसी कारणवश कर्चमारी की मौत होने पर तो पीएफ का पैसा नॉमिनी को मिलता है. ये फायदा तभी मिलगा जब कर्मचारी फॉर्म 10C भरेगा.  

फॉर्म 10C  के लिए पूरी करनी होती हैं कुछ शर्तेंफॉर्म 10C  भरने के कुछ दिनों बाद ही कर्मचारी के बैंक अकाउंट में पीएफ का पैसा ट्रांसफर हो जाता है. हालांकि इसका लाभ सभी कर्मचारियों नहीं मिलता है. इसके साथ कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं. जैसे यदि किसी कर्मचारी ने 10 साल की सर्विस से पहले नौकरी से इस्तीफा देने या फिर कोई कंपनी में 10 साल की नौकरी किए बगैर ही उसकी उम्र 58 साल हो जाए आदि. इसके साथ ही कर्मचारी के परमानेंट रिटायरमेंट होने से पहले ही फॉर्म 10C  का फायदा उठा सकते हैं. 

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