देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में जुटी सरकार के लिए यह खबर थोड़ी निराशाजनक है. अमेरिकी उच्च शुल्क (हाई टैरिफ) की चुनौतियों से निपटने के बीच भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में गिरावट दर्ज की गई है. 3 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 27.6 करोड़ डॉलर घटकर 699.96 अरब डॉलर पर आ गया. इस संबंध में जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को दी.

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विदेशी मुद्रा भंडार में कमी

इससे पहले वाले सप्ताह में भी भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 2.33 अरब डॉलर घटकर 700.24 अरब डॉलर रह गया था. आरबीआई के अनुसार, 3 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets) — जो कुल भंडार का प्रमुख घटक हैं — 4.05 अरब डॉलर घटकर 577.71 अरब डॉलर रह गईं. डॉलर के संदर्भ में व्यक्त इन परिसंपत्तियों पर यूरो, पाउंड और येन जैसी अन्य मुद्राओं के मूल्य में उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी पड़ता है.

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हालांकि, इसी दौरान देश का स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) 3.75 अरब डॉलर बढ़कर 98.77 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इसके अलावा, विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी 2.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.81 अरब डॉलर हो गया, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत का आरक्षित भंडार 40 लाख डॉलर घटकर 4.66 अरब डॉलर रह गया.

रुपये में आई मजबूती

विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये ने मामूली मजबूती दिखाई. शुक्रवार को रुपया 10 पैसे की बढ़त के साथ 88.69 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. रुपये को यह समर्थन घरेलू शेयर बाजारों में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से मिला. विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, RBI के हस्तक्षेप ने भी रुपये को सहारा दिया. हालांकि, अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने रुपये की तेजी को सीमित कर दिया. रुपया दिनभर 88.50 से 88.80 के दायरे में कारोबार करता रहा.

बाजार और निवेशकों की स्थिति

शेयर बाजारों में मजबूती का माहौल रहा.

बीएसई सेंसेक्स 328.72 अंक चढ़कर 82,500.82 पर बंद हुआ.

निफ्टी 50 103.55 अंक बढ़कर 25,285.35 पर बंद हुआ.

विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भी लिवाल रहे और उन्होंने 1,308.16 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. इस बीच, डॉलर सूचकांक, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है, 0.21% गिरकर 99.32 पर आ गया. वहीं, ब्रेंट क्रूड ऑयल वायदा कीमतें 0.61% घटकर 64.85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं. कुल मिलाकर, भले ही विदेशी मुद्रा भंडार में मामूली गिरावट आई हो, लेकिन मजबूत घरेलू बाजार, विदेशी निवेश और रुपये की स्थिरता से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति फिलहाल संतुलित बनी हुई है.

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