Fitch Rating: फिच रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में कोई बदलाव न करते हुए इसे निगेटिव के साथ 'बीबीबी-' पर कायम रखा है. फिच ने जारी एक बयान में कहा कि महामारी से उबरने की तेज रफ्तार और वित्तीय दबावों के शिथिल होने से मध्यम अवधि के वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिम घटे हैं. हालांकि 'बीबीबी-' निवेश श्रेणी की सबसे निचली रेटिंग होती है.


कितनी रह सकती है GDP की विकास दर?
भारतीय अर्थव्यवस्था की यह रेटिंग मध्यम अवधि के वृद्धि परिदृश्य के बीच संतुलन को दर्शाती है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अपने मजबूत विदेशी मजबूत भंडार के जरिये भारत ऊंचे सार्वजनिक लोन और कमजोर वित्तीय क्षेत्र के साथ कुछ संरचनात्मक मुद्दों से निपट पा रहा है. फिच ने कहा, ‘‘हमारा पूर्वानुमान है कि इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर 8.7 फीसदी के मजबूत स्तर पर रहेगी. वहीं, वर्ष 2022-23 में यह दर 10 फीसदी रह सकती है. कोविड महामारी से तेजी से उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता से इसे फायदा मिलता है.’’


भारत का ग्रोथ रेट रहेगा 7 फीसदी
इसके अलावा फिच ने वर्ष 2023-24 से 2025-26 के दौरान भारत का ग्रोथ रेट करीब सात फीसदी रहने का अनुमान भी जताया है. एजेंसी ने कहा कि सुधार के एजेंडा पर सरकार के आगे बढ़ने और महामारी से पैदा हुआ नकारात्मक असर खत्म होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. हालांकि, वर्ष 2021-22 के लिए भारत का नकारात्मक परिदृश्य सीमित राजकोषीय गुंजाइश को देखते हुए मध्यम अवधि के लोन को लेकर बनी अनिश्चितता को दिखाता है. फिच ने जून, 2020 में भारत के आर्थिक परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया था. 


कोविड पूर्व स्तर पर पहुंच रही अर्थव्यवस्था
फिच का कहना है कि आवाजाही संकेतक कोविड-पूर्व स्तर पर लौट आए हैं और उच्च-आवृत्ति के संकेतक विनिर्माण क्षेत्र में मजबूती की ओर इशारा कर रहे हैं. पिछले महीने एक अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को कायम रखते हुए उसके परिदृश्य को 'नकारात्मक' से 'स्थिर' कर दिया था.


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