Fiscal Deficit: पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती के चलते  केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) में जबरदस्त तेजी आई है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 21.2 फीसदी है. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स ने ये आंकड़े जारी किए हैं. 


28 फीसदी से ज्यादा बढ़ा वित्तीय घाटा
जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के बीच वित्तीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा है जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में वित्तीय घाटा 2.74 लाख करोड़ रुपये रहा था. उस हिसाब से देखा जाये तो बीते साल के मुकाबले इस वर्थ की पहली तिमाही में वित्तीय घाटा 28.3 फीसदी ज्यादा है. जून 2022 में केवल वित्तीय घाटा 1.48 लाख करोड़ रुपये रहा है. सरकार ने 2022-23 के लिए 16.61 लाख करोड़ रुपये वित्तीय घाटा का लक्ष्य रखा हुआ है. 


सरकार का घटा राजस्व
सरकार के वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी की बड़ी वजह महंगाई पर नकेल कसने के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम हैं. 21 मई 2022 को सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया तो सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए फर्टिलाइजर सब्सिडी भी बढ़ाने का निर्णय लिया था इसके अलावा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लाभार्थियों को  मुफ्त रिफिलिंग देने की घोषणा की थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त अनाज देने की मियाद को 30 सितंबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था. इन फैसलों का असर सरकार के राजस्व पर पड़ा है जिसके चलते वित्तीय घाटा बढ़ा है. एक अनुमान के मुताबिक 2022-23 में एक्साइज ड्यूटी कटौती से 80,000 करोड़ रुपये के राजस्व पर असर पड़ सकता है. 


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