Go First Crisis: भारतीय एविएशन सेक्टर (Aviation Sector) को उस समय तगड़ा झटका लगा जब देश में सस्ती हवाई सेवा देने वाली कंपनी गो फर्स्ट (Go First Crisis) ने दिवालिया होने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास आवेदन किया. इसके बाद से ही एयरलाइंस के रिवाइवल के लिए NCLT और विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) लगातार कोशिश कर रहे हैं. अब इस मामले में एक बड़ी खबर आ रही है. पीटीआई की खबर के मुताबिक सोमवार को कंपनी के रिवाइवल के लिए गो फर्स्ट अधिकारियों (Go First Revival Plan) ने DGCA के अधिकारियों के मुलाकात की है. इस बैठक में कंपनी को दोबारा खड़ा करने के प्लान पर बातचीत हुई.


DGCA ने कंपनी को दी 30 दिन की मौहलत


वित्तीय संकट से जूझ रही गो फर्स्ट (Cash Strapped Go First) को विमानन नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 30 दिन का वक्त दिया है. इस बीच में कंपनी को अपने रिवाइवल प्लान से लेकर फ्लाइट्स के ऑपरेशन तक की पूरी प्लानिंग करनी होगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि कंपनी अपनी उड़ानों को संचालित करने और उसे दोबारा शुरू करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. फिलहाल गो फर्स्ट ने अपनी सभी फ्लाइट्स के ऑपरेशन को 30 मई, 2023 तक के लिए रद्द कर दिया है.


सोमवार को हुई गो फर्स्ट और DGCA के बीच मीटिंग


पीटीआई की खबर के मुताबिक DGCA ने सोमवार को गो फर्स्ट के पूरे मैनेजमेंट टीम को मीटिंग के लिए बुलाया था. इसमें कंपनी संबंधित रिवाइवल प्लान के बारे में चर्ची की गई है. इसमें टीम ने आगे फ्लाइट के संचालन से लेकर कंपनी के को दोबारा खड़ा करने के लिए अपना रोडमैप पेश किया है. कंपनी के कर्मचारी और सभी शेयरहोल्डर्स जल्द से जल्द से जल्द फ्लाइट के संचालन को शुरू करना चाहते हैं. ऐसे में कंपनी इसके लिए कदम उठा रही है और चीजें सही दिशा में चल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक अगले कुछ दिनों में DGCA गो फर्स्ट के रोडमैप पर फैसला लेगी. ध्यान देने वाली बात ये है कि अपने कर्मचारियों को कंपनी के साथ जोड़े रखने के लिए गो फर्स्ट ने कैपटन को 1 लाख रुपये और फर्स्ट ऑफिसर को 50,000 रुपये एक्स्ट्रा देने का ऐलान किया है. यह पैसे जून, 2023 से दिए जाएंगे.


कंपनी ने 3 मई से फ्लाइट्स का संचालन किया बंद


गौरतलब है कि गो फर्स्ट ने कैश संकट का हवाला देते हुए 3 मई, 2023 से अपनी फ्लाइट्स के संचालन को बंद कर दिया था. कंपनी ने इंजन प्रदान करने वाली अमेरिकन कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी के खराब इंजन को कंपनी की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद प्रैट एंड व्हिटनी ने गो फर्स्ट के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि गो फर्स्ट का पुराना इतिहास रहा है कर्ज न चुकाने का. इसमें कंपनी का कोई दोष नहीं है. इसके अलावा गो फर्स्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास अपनी दिवालिया प्रक्रिया को शुरू करने का आवेदन दिया था जिसे 10 मई को स्वीकार कर लिया गया था.


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