Finance Minister: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी है कि केंद्र सरकार ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए पिछले 9 सालों में कुल 2.73 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं. ये पूंजी देश के टैक्सपेयर्स की है. वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि डीबीटी के जरिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत दी गई सब्सिडी के जरिए केंद्र सरकार ने सीधा लाभार्थियों के खाते में राशि पहुंचाई है और फर्जी या बोगस अकाउंट्स के खाते में सरकारी रकम जाने से रोकी गई है.


बेनेफिशयरीज को मिला असली फायदा


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनजीओ दिशा भारत के एक कार्यक्रम में कहा कि इससे लीकेज को रोकने और सरकारी योजना के असली और योग्य लाभार्थियों को बेहतर तरीके से फायदा दिलाने में मदद मिली है. केंद्र सरकार के जरिए लिए जाने वाले विभिन्न इनीशिएटिव के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि हमने डीबीटी को अपनाया है तो इसके जरिए सरकार की दक्षता में भी बढ़त देखी गई है और इसकी मदद से शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करने के लिए सरकार के पास पूंजी रही है.


फर्जी खातों को हटा दिया गया है- वित्त मंत्री


डीबीटी लागू होने से, पेंशन, काम के लिए पैसा, ब्याज की छूट और एलपीजी गैस सब्सिडी ट्रांसफर को योग्य लाभार्थियों के आधार-वेरिफाइड बैंक खातों में जमा किया जा रहा है. और सभी फर्जी खातों को हटा दिया गया है. वित्त मंत्री ने इसका जिक्र करते हुए खुशी जताई. उन्होंने कहा कि साल 2014 से डीबीटी के अंतर्गत आने वाली योजनाओं में इजाफा किया गया है जिससे हमने 2.73 लाख करोड़ रुपये बचा लिए हैं और इस रकम का इस्तेमाल सरकार द्वारा चलाए जा रहे कई कार्यक्रमों में किया जा रहा है.


देश में डेटा की लागत घटी


अन्य उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही केंद्र सरकार की नीतियों और बढ़ते कॉम्पटीशन से डेटा जैसी अहम सुविधा की लागत में जोरदार कमी आई है. साल 2014 में ये 308 रुपये प्रति जीबी पर थी जो कि आज के समय में घटकर 9.94 रुपये प्रति जीबी पर आ गई है. 


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