Nirmala Sitharaman On Mgnrega Scheme: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (MGNREGA Scheme) को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. वित्त मंत्री सीतारामन ने कहा कि, मनरेगा के लिए धन काम की मांग पर निर्भर करता है और उसी के अनुसार आवंटन का प्रावधान भी कर दिया जाता है. जानिए उन्होंने और क्या कहा..


मांग बढ़ने पर धन का प्रावधान 


वित्त मंत्री ने भुवनेश्वर में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, मनरेगा के लिए धन आवंटन में कोई कमी नहीं आई है. यह मांग पर आधारित योजना है. जब भी मांग बढ़ती है, अधिक धन का प्रावधान कर दिया जाता है. कई, विशेष रूप से विपक्षी राजनीतिक दलों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ग्रामीण रोजगार योजना के लिए बजट में दिए धन को लेकर सवाल खड़े किये है. जिसे लेकर वित्त मंत्री सीतारामन ने जवाब दिया है. 


सबका साथ, सबका विकास


वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का विचार है कि, गरीबी से निपटने के लिए गरीबों को बुनियादी आवश्यकताओं के साथ सशक्त बनाना जरूरी है. यह उनकी सरकार का सबसे टारगेट भी है. उन्होंने कहा कि, 'सबका साथ, सबका विकास' लाइन दर लाइन वास्तव में क्रियान्वित हो रही है.


बजट में इतना मिला आवंटन


वित्त मंत्री सीतारामन ने केंद्रीय बजट में (Budget 2023-24) मनरेगा योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है. यह चालू वर्ष 2022-23 के 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 18 प्रतिशत कम और लगभग 33 प्रतिशत कम है. चालू वर्ष के लिए 89,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमानों की तुलना में कम है. 


गरीब को मजबूत करना 


मनरेगा का उद्देश्य एक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को मांग के अनुसार कम से कम 100 दिन का अकुशल शारीरिक श्रम उपलब्ध कराना चाहिए. जिससे वह गरीब खुद को समाज में पीछे न समझे. साथ ही सामाजिक समावेश को सुनिश्चित करना और पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाने के टारगेट से काम करना है. 


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