इस सप्ताह मंगलवार को डीपीआईआईटी ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया. आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एफडीआई में करीब 48 फीसदी की शानदार तेजी आई और ओवरऑल आंकड़ा 16 बिलियन डॉलर के पार निकल गया. राज्यों के हिसाब से देखें तो एफडीआई आकर्षित करने के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा है.

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अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा आधे से ज्यादा

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2024 के तीन महीनों में महाराष्ट्र ने 70,795 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया. यह किसी भी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है. देश के पूरे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में अकेले महाराष्ट्र का हिस्सा 52.46 फीसदी है.

पिछले साल आया इतना विदेशी निवेश

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने डीपीआईआई के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा- पहली तिमाही में देश में टोटल एफडीआई का आंकड़ा 1,34,959 करोड़ रुपये का रहा, जिसमें अकेले महाराष्ट्र का योगदान 70,795 करोड़ रुपये यानी 52.46 फीसदी का है. महाराष्ट्र लगातार दूसरे साल पहले स्थान पर है. पिछले वित्त वर्ष में महाराष्ट्र में एफडीआई के रूप में 12,35,101 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया, जो गुजरात और कर्नाटक के सम्मिलित आंकड़े से ज्यादा है.

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महाराष्ट्र के बाद इन राज्यों का नंबर

इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सबसे ज्यादा एफडीआई पाने के मामले में कर्नाटक 19,059 करोड़ रुपये के स्थान दूसरे स्थान पर है. दिल्ली को 10,788 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया है. चौथे स्थान पर 9,023 करोड़ रुपये के साथ तेलंगाना है. उसके बाद 8,508 करोड़ रुपये के साथ गुजरात, 8,325 करोड़ रुपये के साथ तमिलनाडु, 5818 करोड़ रुपये के साथ हरियाणा, 370 करोड़ रुपये के साथ उत्तर प्रदेश और 311 करोड़ रुपये के साथ राजस्थान का नंबर है.

इन देशों से आया सबसे ज्यादा निवेश

डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, भारत में आए एफडीआई के स्रोत में सबसे ऊपर सिंगापुर का नाम रहा. सिंगापुर से पहली तिमाही के दौरान 3.9 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया. उसके बाद 3.2 बिलियन डॉलर के साथ मॉरीशस का स्थान रहा. पहली तिमाही के दौरान सिंगापुर और मॉरीशस के अलावा अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन आइलैंड और साइप्रस से एफडीआई में तेजी आई. दूसरी ओर जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से एफडीआई में कमी आई.

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