नए वित्त वर्ष में विदेशी निवेश के फ्लो में अच्छा ट्रेंड देखने को मिल रहा है. ताजे आंकड़े बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में करीब 48 फीसदी की शानदार तेजी आई और आंकड़ा 16 बिलियन डॉलर के पार निकल गया.

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पहली तिमाही में इतना आया विदेशी निवेश

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2024 के तीन महीनों में भारत में 16.17 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (इक्विटी इनफ्लो) आया. यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 47.8 फीसदी ज्यादा है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि यानी अप्रैल से जून 2023 के तीन महीनों के दौरान एफडीआई इनफ्लो 10.94 बिलियन डॉलर रहा था.

इन सेक्टरों ने की एफडीआई की अगुवाई

डीपीआईआईटी के आंकड़ों के अनुसार, एफडीआई इक्विटी इनफ्लो में इस तेजी की अगुवाई सर्विस, कम्प्यूटर, टेलीकॉम और फार्मा जैसे सेक्टरों ने की. आंकड़ों के अनुसार, अगर इक्विटी इनफ्लो के साथ में कमाई को फिर से किए गए निवेश और अन्य कैपिटल को जोड़ दें तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एफडीआई का आंकड़ा सालाना आधार पर 28 फीसदी बढ़कर 22.49 बिलियन डॉलर पर पहुंच जाता है.

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पिछले वित्त वर्ष में गिर गया था आंकड़ा

पिछले वित्त वर्ष के दौरान एफडीआई के इक्विटी इनफ्लो में गिरावट देखी गई थी. पूरे वित्त वर्ष में एफडीआई का इक्विटी इनफ्लो 44.42 बिलियन डॉलर पर रहा था, जो एक साल पहले की तुलना में 3.49 फीसदी कम था. एक साल पहले पूरे वित्त वर्ष में एफडीआई का इक्विटी इनफ्लो 46.03 बिलियन डॉलर रहा था.

इन देशों से आया सबसे ज्यादा निवेश

भारत में आए एफडीआई के स्रोत में सबसे ऊपर सिंगापुर का नाम रहा, जहां से पहली तिमाही के दौरान 3.9 बिलियन डॉलर का निवेश आया. उसके बाद 3.2 बिलियन डॉलर के साथ मॉरीशस का स्थान रहा. पहली तिमाही के दौरान सिंगापुर और मॉरीशस के अलावा अमेरिका, नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, केमैन आइलैंड और साइप्रस से एफडीआई में तेजी आई. दूसरी ओर जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से एफडीआई में कमी आई.

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