Food Inflation: गेहूं, चावल और शक्कर के एक्सपोर्ट पर लगे बैन (Export Ban) को लेकर सरकार ने एक बार फिर स्थिति स्पष्ट कर दी है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने साफ कहा कि इन खाद्य पदार्थों के निर्यात पर लगा प्रतिबंध फिलहाल नहीं हटाया जाएगा. केंद्र सरकार ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है. साथ ही उन्होंने बताया कि देश में गेहूं और शक्कर की पर्याप्त उपलब्धता है. इसके आयात की भी कोई जरूरत नहीं पड़ेगी.


पीयूष गोयल बोले देश को इन चीजों के आयात की जरूरत नहीं  


पीयूष गोयल ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जिसमें निर्यात प्रतिबंध हटाने की बात की गई हो. घरेलू मांग के चलते गेहूं, चावल और शक्कर के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था. उन्होंने बताया कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में इनकी उपलब्धता है. हमें घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए इनके इंपोर्ट की आवश्यकता भी नहीं है. 


महंगाई को कंट्रोल करने के लिए उठाए गए थे कदम 


भारत ने मई, 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद जुलाई, 2023 में गैर बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा था. इसके अलावा अक्टूबर, 2023 में शक्कर ने एक्सपोर्ट को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था. देश में बढ़ रही महंगाई को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने ये कदम उठाए थे. इसके अलावा भारत आटा और भारत दाल को भी सस्ती कीमतों पर बाजार में उपलब्ध कराया गया था.


इंडोनेशिया, सेनेगल और गाम्बिया को भेजा चावल 


पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद अपने मित्र देशों इंडोनेशिया, सेनेगल और गाम्बिया को चावल उपलब्ध कराया है. उन्होंने कहा कि निर्यात पर पाबंदी हटते ही इनकी कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है. सरकार किसानों के लिए प्याज की भरपूर खरीदारी 19 से 23 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कर रही है. प्याज की कीमतें बढ़ने के बाद इसके निर्यात पर पूरी तरह से बैन लग गया था. दिसंबर, 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.69 फीसदी के साथ 4 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. 


गेहूं, चावल और गन्ने के उत्पादन पर कम बारिश का असर


असमान बारिश के चलते गेहूं, चावल और गन्ने के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. इसके चलते आटा, चावल और चीनी महंगी होने लगी थी. इसी साल होने वाले लोकसभा चुनाव के चलते सरकार ने तुरंत इन चीजों का एक्सपोर्ट रोक दिया था ताकि घरेलू बाजार में इन चीजों की उपलब्धता बढ़ाई जा सके. हालांकि, सरकार के इस फैसले का बुरा असर एक्सपोर्ट पर पड़ने का अनुमान जताया गया है.  


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