Artificial Intelligence News Update: आईटी सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को नई क्रांति के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन इसकी चुनौतियों और खतरों से भी दुनिया परिचित और सावधान होती जा रही है. ऐसे में एआई को रेग्यूलेट करने की पूरी तैयारी चल रही है. यूरोपियन यूनियन ने इस दिशा में सबसे पहले कदम उठाया है. यूरोपियन यूनियन में एआई एक्ट के जरिए आर्टिफियल इंटेलीजेंस को रेग्यूलेट किया जाएगा. यूरोपियन यूनियन ने तो इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. लेकिन दुनिया के कई दूसरे देश एआई को रेग्यूलेट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. 


अमेरिका में ओपनआई को नोटिस


अमेरिकी कांग्रेस ने पिछले महीने ही एआई को लेकर चर्चा की है साथ ही एआई फोरम का भी आयोजन किया था जिसके दुनिया के दिग्गज आईटी कंपनियों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया था. अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों में इस बात की सहमति है कि एआई को रेग्यूलेट किए जाने की जरूरत है. अमेरिका में फेडरल ट्रेड कमीशन ने चैटजीपीटी बनाने वाले ओपनआई के खिलाफ उपभोक्ताओं के हितों के कानूनों के उल्लंघन करने की जांच कर रहा है. एफटीआई ने ओपनएआई से गोपनीय जानकारियां भी मांगी है. 


नीति आयोग ने भी जारी किया रिपोर्ट 


भारत सरकार ने भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खिलाफ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के साथ मिलकर रेग्यूलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. थिंकटैंक नीति आयोग ने सभी के लिए जवाबदेह एआई को लेकर कई पेपर्स जारी किए हैं. तो टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ट्राई ने इंडीपेंडेंट अथॉरिटी के गठन का सुझाव दिया है. 


चीन ने भी की सख्ती


चीन ने एआई के खिलाफ अभी से सख्ती शुरू कर दी है. चीन में सर्विस प्रोवाइडर्स को आम लोगों के लिए एआई प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने से पहले सिक्योरिटी एसेंसमेंट सबमिट करने से लेकर उसपर मंजूरी हासिल करना होगा. अमेरिका के तर्ज पर जापान भी एआई के खिलाफ 2023 के आखिर तक रेग्यूलेशन जारी कर सकता है. जापान ने लोगों की निजता पर निगरानी वाली संस्था ने बगैर लोगों की मंजूरी के सेंसटिव डेटा नहीं जुटाने की हिदायत जारी किया है. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी जुलाई महीने में एआई को लेकर औपचारिक चर्चा की थी. जिसमें एआई के मिलिट्री और नॉन मिलिट्री अप्लीकेशन को लेकर चर्चा की गई थी जिसमें कहा गया कि ये दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. 


एआई से नौकरियों पर खतरा 


उन्होंने चैटजीपीटी (ChatGPT) और बिंग चैट ( Bing Chat) जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव को लेकर दुनियाभर की सरकारें सतर्क होती जा रही हैं.  पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ ( Geeta Gopinath) ने भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से नौकरियों पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जाहिर की थी.उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते लेबर मार्केट में बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. उन्होंने सरकारों से इस टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द रेग्यूलेट करने को लेकर नियम बनाने की अपील की थी. गोल्डमन सैक्स (Goldman Sachs) ने कहा था कि इसके चलते 30 करोड़ फुलटाइम जॉब्स पर खतरा पैदा हो सकता है.


 


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