Food Inflation: इस मानसून सीजन में कम बारिश के चलते खरीफ फसल की बुआई  पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है.  तो इसके चलते खाद्य महंगाई में तेजी की आशंका बनी हुई है. कम बारिश और खाद्य महंगाई में उछाल का असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. 


केयर रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी के बाद सरकार की सब्सिडी में कटौती का असर ग्रामीण इलाकों में मांग पर देखने को मिल सकता है जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय घट सकती है. केयर रेटिंग्स ने अनियमित मानसून, खाद्य कीमतें और ग्रामीण मांग शीर्षक के साथ रिपोर्ट जारी की है. जिसमें कहा गया है कि मानसून में उतार चढ़ाव के चलते घरेलू खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की संभावना है. वहीं वैश्विक हालात महंगाई की आग में घी डालने का काम कर सकती है. 


केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई में तेजी बनी रहेगी. वहीं अक्टूबर के बाद नए फसल के बाजार में आने के बाद ही राहत मिलने की सूरत नजर आ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक वित्त 2023-24 की दूसरी तिमाही में खाद्य महंगाई 9.4 फीसदी तक औसतन रहने का अनुमान है. वहीं तीसरी तिमाही में ये घटकर 6.9 फीसदी पर आ सकती है. वहीं चौथी तिमाही में खाद्य महंगाई औसतन 5.9 फीसदी रहने का अनुमान है.   


रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशियाई देशों में मौसम से जुड़े व्यवधानों और वैश्विक घटनाक्रमों के चलते खाद्य महंगाई में तेजी बनी रहेगी.  रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ फसल की बुआई अगस्त में खत्म हो जाएगी और इसमें अब सुधार की गुंजाइश बेहद कम नजर आ रही है. केयर रेटिंग्स के मुताबिक दालों और अनाजों की महंगाई दर डबल डिजीट में जा चुकी है. 


रिपोर्ट के मुताबिक कम बारिश के चलते जलाशयों में पानी का लेवल कम रह सकता है इसका असर आने वाले रबी सीजन में रबी फसल की बुआई पर देखने को मिल सकता है. दरअसल जुलाई में महंगाई दर 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर जा पहुंची है खाद्य महंगाई दर 11.51 फीसदी रही है. 


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