EPF Latest News Update: अप्रैल 2022 के बाद से कंपनियां अपने कर्मचारियों (Employees) को 2022-23 के लिए वेतन बढ़ोतरी ( Salary Increment) का तोहफा दे रही हैं. ऐसे कर्मचारियों का सैलेरी स्ट्रक्चर में भारी बदलाव आया होगा. जिसके चलते कर्मचारियों के ईपीएफ खाते (EPF Account) जमा किए जाने रकम में भी बढ़ोतरी हो गई होगी. ऐसे में आपके लिए ये जानना बेहद जरुरी है कि एक साल में आपके ईपीएफ खाते में कितना पैसा जमा किया जाएगा. क्योंकि अगर ईपीएफ खाते में जमा किया जाने वाला रकम 2.50 लाख रुपये सलाना से ज्यादा है तो इस सीमा से ज्यादा के रकम पर मिलने वाले ब्याज पर आपको टैक्स चुकाना होगा. 


2.50 लाख से ज्यादा ईपीएफ योगदान पर टैक्स 
दरअसल वित्त वर्ष 2021-22 में एक अप्रैल से कर्मचारियों की तरफ से ईपीएफ (EPF) और वोलंट्री प्रॉविडेंट फंड (VPF) खाते में जमा किया जाने वाला योगदान एक साल में अगर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो 2.5 लाख से ऊपर के रकम पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होगा. आपके इनकम स्लैब के मुताबिक आप पर टैक्स की देनदारी बनेगी. वित्त वर्ष 2021-22 और एसेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए नोटिफाई किए गए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में टैक्सपेयर को ईपीएफ और वीपीएफ (VPF) योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स चुकाने के लिए कहा जा रहा है. इसलिए टैक्सपेयर के जरिए ये जरुरी है कि वे चेक करें कि उनके ईपीएफ और वीपीएफ खाते में जो ब्याज आया है उसपर कोई टैक्स तो नहीं बन रहा है. 


कैसे करें चेक 
आप अपने सैलेरी स्लिप में चेक करें सकते हैं कि आपकी ओर से ईपीएफ और वीपीएफ में कितना योगदान हर महीने दिया जा रहा है. जितना योगदान हर महीने जा रहा उसे 12 से गुना कर दें. उदाहरण के लिए अगर आपकी बेसिक सैलेरी हर महीने 40,000 रुपये है. बेसिक सैलेरी का 12 फीसदी ईपीएफ योगदान 4800 रुपये बनता है. यानि एक साल में 12*4800 = 57,600 रुपये योगदान बनता है. और अगर वोलंट्री प्रॉविडेंट फंड  में हर महीने 4000 रुपये योगदान देते हैं तो 48000 रुपये सलाना बनता है. ईपीएफ और वोलंट्री प्रॉविडेंट फंड  योगदान को जोड़ने पर 105,600 रुपये सलाना योगदान बनता है. जो 2.5 लाख रुपये से कम है इसलिए आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. 


अगर कोई एम्पलॉयर अपनी तरफ से एम्पलॉय के ईपीएफ खाते में योगदान नहीं देता है. ऐसे परिस्थिति में एक वित्त वर्ष में 5 लाख रुपये तक सलाना ईपीएफ और वोलंट्री प्रॉविडेंट फंड में योगदान अपनी जेब से देने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन कर्मचारी द्वारा ईपीएफ और वीपीएफ में सलाना 5 लाख रुपये से ज्यादा देने योगदान करने पर 5 लाख रुपये से ऊपर के रकम पर जो ब्याज मिलेगा उसपर टैक्स का भुगतान करना होगा.  


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