EPFO To Increase Investment In Equity: ईपीएफ बोर्ड ने हाल ही में 2021-22 वित्त वर्ष के लिए ईपीएफ रेट को 8.5 फीसी से घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला लिया है जिसकी तीखी आचोलना हुई है.  लेकिन अपने निवेशकों को ज्यादा रिटर्न दे सके इसके ईपीएफओ बोर्ड शेयर बाजार में निवेश की सीमा को बढ़ाने का पर फैसला ले सकती है. 29 और 30 जुलाई, 2022 को ईपीएफओ बोर्ड की बैठक होने वाली है जिसमें शेयर बाजार और उससे जुड़े उत्पादों में निवेश की लिमिट को मौजूदा 15 फीसदी बढ़ाकर 20 फीसदी किए जाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दी जा सकती है. जिससे शेयर बाजार में निवेश से ज्यादा रिटर्न हासिल किया सके और ईपीएफओ के खाताधारकों को ज्यादा ब्याज दिया जा सके. 


सरकार ने भी दिए संकेत 
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि, सीबीटी की उप-समिति एफआईएसी ने इक्विटी और इक्विटी संबंधित निवेश सीमा को 5-15 फीसदी से बढ़ाकर 5-20 फीसदी की सिफारिश की है. हालांकि आपको बता दें मजदूर संगठन ईपीएफओ के शेयर बाजार में निवेश की सीमो को बढ़ाने का विरोध करते रहे हैं. उनका तर्क है कि इस निवेश पर सरकार की गारंटी नहीं होती है जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है. 


20 फीसदी तक इक्विटी में निवेश संभव
दरअसल ईपीएफओ की फाइनैंस इंवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमिटी ने शेयर बाजार में निवेश की लिमिट को बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.  फिलहाल ईपीएफओ अपने फंड का केवल 5 से 15 फीसदी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF)के जरिए निवेश करती है. ईपीएफओ को इक्विटी यानि शेयर बाजार में निवेश से 2021-22 में 16.27 फीसदी का रिटर्न मिला है जो 2020-21 में 14.67 फीसदी था. जो कि Debt में किए गए निवेश के मुकाबले बहुत ज्यादा है. ईपीएफओ ने न्यूक्लियर पावर बांड्स में 15 सालों के लिए निवेश किया है जिसपर 6.89 फीसदी के ब्याज सलाना मिलेगा. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बांड पर 7.27 फीसदी से लेकर 7.57 फीसदी ब्याज मिल रहा है. जाहिर है सरकार के बांड से लेकर कंपनियों के बांड में निवेश पर ईपीएफओ को कम रिटर्न मिल रहा है. 
 
ईपीएफओ पर ज्यादा रिटर्न देने का दवाब 
ईपीएफओ पर अपने निवेशकों को ज्यादा ब्याज देने का भी दवाब है वो भी तब जब ईपीएफओ ने मार्च 2022 में 2021-22 के लिए ईपीएफ रेट को घटाकर 4 दशक में सबसे कम 8.1 फीसदी कर दिया. यही वजह है कि शेयर बाजार में निवेश ईपीएफओ बढ़ा सकती है जिससे वो ज्यादा रिटर्न कमा सके और ईपीएफओ खाताधारकों को ज्यादा ब्याज दे सके. आपको बता दें ईपीएफओ की फाइनैंस इंवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमिटी के फैसले पर ईपीएफओ बोर्ड की मुहर लेनी होगी जिसके सदस्य ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि भी हैं. मार्च 2021 तक ईपीएफओ के पास 15.69 लाख करोड़ रुपये का कॉरपस था. 


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