नई दिल्लीः एंप्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन या ईपीएफओ ने मई महीने में नए रजिस्ट्रेशन के विषय में जानकारी दी है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने बताया है कि कोरोना वायरस संकटकाल के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन के चलते ईपीएफओ में नए रजिस्ट्रेशन में गिरावट आई है. हालांकि अप्रैल के मुकाबले मई में इसमें सुधार देखा गया है.

मई में हुए 3.18 लाख नए रजिस्ट्रेशन ईपीएफओ ने बताया है कि मई के महीने में इसमें 3.18 लाख नए रजिस्ट्रेशन हुए हैं जबकि इससे पिछले महीने यानी अप्रैल में नए रजिस्ट्रेशन की संख्या सिर्फ 1.33 लाख रही थी. इस तरह महीने दर महीने आधार पर ईपीएफओ रजिस्ट्रेशन में कुछ सुधार तो देखा गया है लेकिन ये नियमित आधार पर आने वाली संख्या के मुकाबले काफी कम है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ईपीएफओ में औसत आधार पर हर महीने सात लाख नये सदस्य जुड़ते हैं. हालांकि ये स्थिति लॉकडाउन से पहले की है.

लॉकडाउन से पहले फरवरी में अच्छी रही थी संख्या इसी साल फरवरी में 10.21 लाख नए सदस्य ईपीएफओ से जुड़े थे और ये लॉकडाउन से पहले हुआ था, लेकिन इसके बाद मार्च 25 से देश में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लागू किया गया और मार्च में नए रजिस्ट्रेशन की संख्या घटकर 5.72 लाख रह गई थी. हालांकि लॉकडाउन मार्च के आखिरी हफ्ते में लगा था फिर भी ऐसा समझा जाता है कि ईपीएफओ के नए रजिस्टर होने वाले सदस्यों की संख्या पर इसका असर देखा गया है.

वित्त वर्ष 2019-20 के कुल रजिस्ट्रेशन वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ईपीएफओ के साथ जो कुल नए सदस्य जुड़े उनकी संख्या 78.58 लाख रही थी और ये आंकड़ा अच्छा कहा जा सकता है. चूंकि ईपीएफओ के आंकड़ों से ये पता चलता है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति क्या है तो इस लिहाज से वित्त वर्ष 2019-20 की इस संख्या को अनुमान के मुताबिक ही माना गया. बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ईपीएफओ के नए सदस्यों की संख्या 61.12 लाख की रही थी.

लॉकडाउन के कारण बढ़ी है बेरोजगारी ईपीएफओ के आंकड़ों से साफ हो जाता है कि संगठित क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति अच्छी नहीं है और इसमें नौकरियों के साथ जुड़ने वाले लोगों की संख्या में चिंताजनक तौर पर कमी आ रही है. हालांकि इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस वायरस महामारी के कारण बनी स्थितियों की वजह से ऐसा हो रहा है लेकिन अब जब स्थितियां धीरे-धीरे सामान्य होने की तरफ बढ़ रही हैं तो ईपीएफओ के नए सदस्यों की संख्या में भी इजाफा होना चाहिए.

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