भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से अधिक रहेगी. अर्थशास्त्रियों ने कहा कि भारत का जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 8.5 प्रतिशत रह सकती है. 


देश की सबसे बड़ी लेंडर एसबीआई ने जून तिमाही के लिए ग्रोथ का अनुमान 8.3 फीसदी लगाया है, जबकि डोमेस्टिक रेटिंग एजेंसी इक्रा का अनुमान है कि जीडीपी की ग्रोथ 8.5 फीसदी रहने का अनुमान है. वही भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी है. वहीं अप्रैल और जून के लिए अनुमान 8 प्रतिशत रखा है. 


एसबीआई और इक्रा दोनों ने तेज आर्थिक विकास के अपने अनुमान को लेकर कहा है कि यह ग्रोथ केंद्र और राज्यों के पूंजीगत व्यय की वजह से हुआ है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2021 के दौरान ग्रोथ सिकुड़ गया था, जो एक कारण इसकी तेजी से ग्रोथ के लिए भी हो सकता है. 


इक्रा ने ग्रोथ की क्या बताई वजह 


रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अनुकूल आधार प्रभाव और सेवा क्षेत्र में सुधार के चलते ग्रोथ तेज रहने का अनुमान है. इस तरह इक्रा का अनुमान केंद्रीय बैंक के अनुमान से अधिक है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विपरीत परिस्थितियां देखने को मिल सकती हैं. 


नायर ने कहा कि अनियमित बारिश के बीच एक साल पहले की कीमतों के मुकाबले अंतर कम होने और सरकारी पूंजीगत व्यय की गति में कमी की आशंका बनी हुई है. उन्होंने कहा कि संसदीय चुनावों के करीब पहुंचने के साथ जीडीपी की ग्रोथ रेट सीमित रहेगी. 


चालू वित्त वर्ष में 6 फीसदी ग्रोथ रहने का अनुमान 


इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने ग्रोथ अनुमान को छह प्रतिशत पर बरकरार रखा है. यह आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है. नायर ने कहा कि पहली तिमाही में बेमौसम भारी बारिश, मौद्रिक सख्ती का असर कम होने और कमजोर बाहरी मांग के कारण जीडीपी ग्रोथ पर दबाव पड़ा है. 


गौरतलब है कि अधिकारिक तौर पर जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा इस महीने जारी किया जाएगा. वहीं वित्त वर्ष 2023 के मार्च तिमाही में GDP ग्रोथ एक साल पहले इस अवधि की तुलना में 6.1 फीसदी रही थी. 


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