Economic Challenge In India: इकोनॉमिक सर्वे ने जहां भारत की उपलब्धियों का जमकर बखान किया है, वहीं भारत के सामने की चुनौतियों पर भी चिंता जाहिर की है. इसमें कहा गया है कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती नॉन फार्म सेक्टर में जॉब पैदा करने की है. क्योंकि कृषि बढ़ती आबादी के अनुपात में जॉब पैदा नहीं कर सकती है. इसलिए लोगों को रोजगार के पर्याप्त अवसर देने के लिए हर साल नॉन फॉर्म सेक्टर में 78.5 लाख ज़ॉब पैदा करने होंगे.
यह काम कम से कम 2030 तक करना होगा. इसके अलावा 2030 तक हर साल 100 फीसदी लिटरेसी की चुनौती भी स्वीकार करनी होगी. शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को भी उठाना होगा. साथ ही लोगों को अवसरों का लाभ देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार लाना होगा.
देश में घटी है बेरोजगारी
इकोनॉमिक सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश में बेरोजगारी घटी है. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन और वर्कफोर्स पॉपुलेशन रेशियो की स्थिति में भी सुधार आया है. डेमोग्राफिक डिविडेंड को पूरी तरह से कैपिटलाइज करने के लिए यह जरूरी है कि अधिक से अधिक लोगों को क्वालिटी जॉब मिले, जो सस्टेनेबल लाइवलीहुड को बढ़ावा देने वाला हो. इसलिए यह जरूरी है कि डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों स्तर पर जॉब डिमांड को पूरा करने के लिए न्यू स्किलिंग, री स्किलिंग और अपस्किलिंग तीनों के ही प्रोसेस को लगातार बढ़ावा दिया जाय. भारत सरकार को अपने वर्कफोर्स को इस रूप में डिजाइन करने के लिए तैयार रहना होगा.
आबादी बन जाएगी आपदा
इकोनॉमिक सर्वे में इस बात पर चिंता जाहिर की गई हैं कि बढ़ती आबादी के मुताबिक अगर अवसर पैदा नहीं किए गए तो आबादी आपदा में भी बदल सकती है. बेरोजगारी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर भारी पड़ रही है. देश का इकोनॉमिक ग्रोथ चार साल में सबसे कम देखने को मिल सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि शनिवार को पेश होने जाने रहे केंद्रीय बजट में नौकरियों पर ज्यादा फोकस देखने को मिल सकता है.
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