नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को भारतीय इकोनॉमी में मौजूदा गिरावट के बावजूद अच्छी तेजी दिखने पर पूरा भरोसा है. वहीं नोटबंदी से आने वाले समय में होने वाले बड़े फायदों की भी उन्होंने वकालत की है.


 आज कहा कि 500 और 1,000 के पुराने नोट चलन से बाहर किए जाने के बाद भारत की आर्थिक विकास दर में ‘जबर्दस्त सुधार’ आएगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के काल में व्यापार संरक्षणवाद बढ़ने की संभावना के बीच पटेल ने अभी भी ग्लोबलाइजेशन को जारी रखने की मजबूत वकालत की और कहा कि फ्री ट्रेड से भारत को फायदा मिला है.


सीएनबीसी-टीवी18 को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंनें कहा, ‘‘इस बात पर सभी सहमत हैं कि अर्थव्यवस्था में एक तेज गिरावट (तीव्र ‘वी’ की स्थिति) आई है लेकिन यह बहुत छोटी अवधि के लिए है. हालांकि नई करेंसी को बाजार में डालने का काम तेज गति से चल रहा है और यह इस योजना का ही हिस्सा था.’’ पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था जो पहले 7.1 फीसदी रखा गया था. लेकिन उसने वित्त वर्ष 2017-18 में इसके फिर से 7.4 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है.


उन्होंने कहा कि पुरानी बेकार हो चुकी 86 फीसदी मुद्रा के चलन से बाहर होने के फायदे सामने आने में समय लगेगा और इन फायदों को पक्का करने के लिए बहुत से काम किए जाने अभी बाकी हैं.


रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उंची विकास दर तभी संभव है जब बुनियादी सुधार किए जाएं जिनमें भूमि-श्रम से जुड़े सुधार शामिल हैं. पटेल से पूछा गया था कि क्या भारत 9 फीसदी की जीडीपी विकास हासिल कर सकता है. पटेल ने कहा, ‘‘अब यह कहना मुश्किल है कि हम 7.5 फीसदी से कितनी अधिक वृद्धि कर पाएंगे. लेकिन तथ्य यह है कि हमें उस गति से तेज गति से वृद्धि करने की जरूरत है जिस पर अभी हम है. मेरा मानना है कि 7.5 फीसदी की विकास दर भी कोई परेशान करने वाली बात नहीं है.’’ पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पिछले हफ्ते में लगातार दूसरी बार ब्याज दर को 6. 5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा था और नीति के दृष्टिकोण को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ कर दिया था.


उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि में यदि सबसे अच्छा योगदान कोई केंद्रीय बैंक दे सकता है तो यह कि वह महंगाई को कम रखे, स्थिरता लाए, वित्तीय स्थिरता हो और यही एक केंद्रीय बैंक की भूमिका होती है. यदि महंगाई ऊंची और अस्थिर हो तो बहुत ही कम देश उच्च वृद्धि दर से आगे बढ़ पाते हैं. इसलिए मेरा मानना है कि हमें ऊंची विकास दर पाने की दिशा में काम करना चाहिए लेकिन ये टिकाऊ भी होनी चाहिए.


रिजर्व बैंक के गवर्नर पटेल ने अमेरिक में डोनाल्ड ट्रंप सरकार के संरक्षणवाद की ओर बढ़ने पर चिंता व्यक्त की. पटेल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह दुनिया के लिए चिंता का विषय है. उभरते बाजारों के लिए वित्तीय अस्थिरता की दृष्टि से चिंता का विषय है. मुझे नहीं लगता कि इससे कोई भी बचेगा. हमें इसी के साथ चलना होगा.’’ विश्व की बदलती व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें से कुछ बातें ऐसी हैं जो भारत के लिए संतोष का विषय हो सकती हैं.


उर्जित पटेल ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से हम इस मामले में सही जगह है.’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास ऐसा बजट है जिसमें राजकोषीय घाटा कम किया गया है. हमारे पास एक केंद्रीय बैंक है जिसको महंगाई के एक लचीले लक्ष्य को साधन का काम दिया गया. हमारे पास 360 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है और हमारे पास करेंट अकाउंट घाटा है जो लगातार नरम हो रहा है. देश की इकोनॉमी के लिए आर्थिक स्थिरता के लिए इन खास चीजों का विशेष ख्याल रखना है. क्योंकि यही बातें हैं जो बाहरी दुनिया की ओर से उठने वाले कुछ संकटों के समय हमें अपने पैरों पर टिके रहने में मदद करेंगी.


ट्रंप के संरक्षणवाद पर पटेल ने कहा कि हमने अपनी अर्थव्यवस्था के द्वार 1990 के दशक में खोले थे और उन्हें नहीं लगता कि हमें किसी भी कारण से बदलना चाहिए क्योंकि हमें इस खुली अर्थव्यवस्था से फायदा हुआ है. उनका मानना है कि भारत को अपनी खुलेपन की नीति को बहुपक्षीय व्यवस्था के रास्ते से आगे बढाना सही रहे.