Robust Demand of Luxury Goods: एक तरफ जहां देश में महंगाई दर (Inflation) 7 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है और बेरोजगारी (Unenployment) में इजाफा हो रहा है वहीं त्‍योहारी सीजन की शुरुआत में ही लक्‍जरी सामानों पर लोगों का बेतहाशा खर्च कुछ और ही कहानी कह रहा है. आप इसे एक उदाहरण के जरिये समझिए. भारत की प्रति व्‍यक्ति आय लगभग 2,000 (1,50,000 रुपये) डॉलर है. कंज्‍यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियों की मानें तो ऐसी वस्‍तुओं की मांग सबसे ज्‍यादा है जिनकी कीमत 2,000 डॉलर के आसपास है. दूसरी तरफ, अगर आप बजट फोन यानी 7,500-8,000 रुपये की कीमत वाले फोन और मोटरसाइकिल की बिक्री का औद्योगिक आंकड़ा देखेंगे तो पता चलेगा कि इनकी मांग में कमजोरी आई है. ये वस्‍तुएं ग्रामीण मांग यानी कम आय वाले लोगों की मांग की तरफ इशारा करती हैं. 


लक्‍जरी प्रोडक्‍ट्स की मांग में हो रहा है इजाफा


ब्‍लूमबर्ग ने चीन के हायर ग्रुप कॉर्प की भारतीय इकाई क्विंडागो के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सतीश एनएस के हवाले से कहा है कि भारतीय ग्राहकों का रुझान प्रीमियम/लक्‍जरी प्रोडक्‍ट्स की तरफ बढ़ रहा है. फ्रंट लोड वाले वाशिंग मशीन और डबल डोर वाले फ्रीज, जिनकी कीमत लगभग 1,50,000 रुपये है, की बिक्री कम कीमत वाले प्रोडक्‍ट्स की तुलना में अधिक है. इसलिए हम टॉप एंड प्रोडक्‍ट्स पर ज्‍यादा फोकस कर रहे हैं. 


महामारी-पूर्व स्‍तर पर नहीं पहुंच पाए कम कमाई वाले लोग


कम कमाई करने वाले लोग अब भी हाशिये पर हैं. वे अबतक महामारी-पूर्व स्‍तर पर आय के नजरिये से नहीं पहुंच पाए हैं. ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अर्थव्‍यवस्‍था की ग्रोथ के लिए प्राइवेट डिमांड पर लगभग 60 प्रतिशत निर्भर करता है. महंगाई की वजह से ब्‍याज दरें बढ़ी हैं और इससे उपभोक्‍ताओं की मांग प्रभावित हुई है. ब्‍लूमबर्ग इकॉनोमिक्‍स के अभिषेक गुप्‍ता कहते हैं कि जब देश की अर्थव्‍यवस्‍था की हालत सही चल रही होती है तो इस तरह की असामनता ओवरऑल ग्रोथ से छिप जाती है. 


अनिवार्य वस्‍तुओं की खरीदारी पर 30 प्रतिशत करते हैं खर्च


जिंदगी जीने का खर्च (Living Cost) बढ़ने की वजह से औसत लोगों का खर्च भी घटा है. Banco Santander SA के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लोग अपनी कुल कमाई का 30 प्रतिशत अनिवार्य वस्‍तुओं जैसे खाने के सामानों की खरीदारी पर खर्च करते हैं. चीन में यह 10 प्रतिशत है. गोदरेज एंड बॉयस (Godrej And Boyce Co.) में अप्‍लाएंसेज डिविजन के बिजनेस हेड कमल नंदी ने ब्‍लूमबर्ग से कहा कि हमें यह नहीं लग रहा कि महामारी-पूर्व स्‍तर की तुलना में सभी श्रेणियां तरक्‍की कर रही हैं. क्रिसिल के चीफ इकॉनोमिस्‍ट धर्मकीर्ति जोशी ने प्रीमियम प्रोडक्‍ट्स की बिक्री बढ़ने को लेकर कहा कि ऐसा संभव है. उन्‍होंने कहा कि अधिक वेतन पाने वाले लोगों की आय में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 


क्‍या इस तरह बढ़ती प्रीमियम प्रोडक्‍ट्स की मांग अच्‍छी है?


अब सवाल उठता है कि क्‍या प्रीमियम प्रोडक्‍ट्स की मांग में आ रहा ये उछाल बेहतर आर्थिक स्थिति की ओर संकेत करता है? इस बारे में इंडिया रेटिंग्‍स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के चीफ इकॉनोमिस्‍ट देवेंद्र पंत ने ब्‍लूमबर्ग से कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था की ऐसी रिकवरी जिसमें प्रमुख हिस्‍सेदारी शहरों की हो, चिंताजनक है. उन्‍होंने कहा कि इस तरह की ग्रोथ स्थिर हो सकती है, इसमें संदेह है.